पाकिस्तान की भाषा का पता लगाओ
मनु पंवार
'सर्जिकल स्ट्राइक' भी हो गया। 'सार्क' सम्मेलन वाला कूटनीतिक दांव भी निशाने पर लग गया। सिंधु जल संधि और मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्ज़ा ख़त्म करने के बारे में भी कह दिया गया है। लेकिन फिर भी पाकिस्तान बाज नहीं आ रहा। फिर से हमला करवा दिया! आखिर पाकिस्तान को किस भाषा में जवाब दिया जाए? हिन्दुस्तान में हर कोई इसी पर चर्चारत् है। आमजन से लेकर मीडिया तक। लेकिन इस पूरे विमर्श में इतना तो समझ में आ ही गया है कि सारी समस्या 'भाषा' की ही है। असल में पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देने में कई अड़चनें हैं। सबसे बड़ी अड़चन तो यही है कि पाकिस्तान में अभी यही तय नहीं है कि उसकी अपनी भाषा क्या हो? उर्दू, पंजाबी या अंग्रेज़ी?
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कार्टून साभार: www.peacekashmir.org/ |
असल में पाकिस्तान में उर्दू प्रमुख रूप से उन लोगों की भाषा है जो सन् 1947 में बंटवारे के बाद हिंदुस्तान से गए थे। उन्हें अब भी ‘मुहाजिर’ कहा जाता है। उनकी आबादी पाकिस्तान में क़रीब 8 फीसदी है। मुहाजिरों से वहां भेदभाव की ख़बरें अक्सर आती रहती हैं। मुहाजिरों की एक ताक़तवर पार्टी भी है, मुहाजिर क़ौमी मूवमेंट यानी एमक्य़ूएम। जिसके मुखिया अल्ताफ़ हुसैन हैं। जो अक्सर हिंदुस्तान के पक्ष में बोलते रहते हैं और पाकिस्तान को गरियाते रहते हैं। लेकिन मुहाजिरों की भाषा उर्दू में अगर पाकिस्तान को जवाब देने की सोचेंगे, तो बात वहां के असली हुक्मरानों के कानों तक कैसे पहुंच पाएगी? वे तो ज्यादातर पंजाबीभाषी हैं।
तो फिर पाकिस्तान को जवाब देने की दूसरी भाषा कौन सी हो? पाकिस्तान में पश्तो भी बोली जाती है और सिंधी भी। वहां की करीब 16 फीसदी आबादी पश्तून है और करीब 14 फीसदी सिंधी। सिंध वाले तो खुद ही पाकिस्तानी सत्ता को अपनी भाषा में जवाब दे ही रहे हैं। रही पश्तो की बात, तो पश्तो में हम ऑल इंडिया रेडियो के ज़रिये पाकिस्तान को जवाब कई साल पहले से ही दे रहे हैं। आपको बता दें कि आकाशवाणी की विदेश प्रसारण सेवा जिन 15 विदेशी भाषाओं में प्रसारण करती है, उनमें से एक सेवा पश्तो की भी है। अब बलोचियों की भाषा में भी हमने हाल ही में पाकिस्तान को जवाब देना शुरू किया है, जब आकाशवाणी की विदेश प्रसारण सेवा से बलोच भाषा में प्रसारण शुरू किया गया। लेकिन बेचारे बलोचियों की आबादी पाकिस्तान में महज 3.57 प्रतिशत है। वो पहले से ही पाकिस्तान के ज़ुल्म के शिकार हैं। उनकी भाषा में तो खुद पाकिस्तान की सरकार भी नहीं सुनती, हमारी क्या सुनी जाएगी।
तो फिर पाकिस्तान को जवाब देने की दूसरी भाषा कौन सी हो? पाकिस्तान में पश्तो भी बोली जाती है और सिंधी भी। वहां की करीब 16 फीसदी आबादी पश्तून है और करीब 14 फीसदी सिंधी। सिंध वाले तो खुद ही पाकिस्तानी सत्ता को अपनी भाषा में जवाब दे ही रहे हैं। रही पश्तो की बात, तो पश्तो में हम ऑल इंडिया रेडियो के ज़रिये पाकिस्तान को जवाब कई साल पहले से ही दे रहे हैं। आपको बता दें कि आकाशवाणी की विदेश प्रसारण सेवा जिन 15 विदेशी भाषाओं में प्रसारण करती है, उनमें से एक सेवा पश्तो की भी है। अब बलोचियों की भाषा में भी हमने हाल ही में पाकिस्तान को जवाब देना शुरू किया है, जब आकाशवाणी की विदेश प्रसारण सेवा से बलोच भाषा में प्रसारण शुरू किया गया। लेकिन बेचारे बलोचियों की आबादी पाकिस्तान में महज 3.57 प्रतिशत है। वो पहले से ही पाकिस्तान के ज़ुल्म के शिकार हैं। उनकी भाषा में तो खुद पाकिस्तान की सरकार भी नहीं सुनती, हमारी क्या सुनी जाएगी।
एक विकल्प यह है कि पाकिस्तान को अंग्रेज़ी भाषा में दिया जाए। अंग्रेज़ी पाकिस्तान में सरकारी कामकाज़ की भाषा भी है और अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति की भाषा तो है ही। लेकिन 'दुश्मन' को गरियाने, उसको 'करारा' जवाब देने का जो मज़ा पंजाबी या देसी हिन्दी में है, वो भला किसी और में कहां..? माफ़ कीजिएगा, मगर उर्दू में नफासत आड़े आ जाती है जी। उर्दू में तो लगता ही नहीं है कि आप किसी को गाली दे रहे हैं। बड़ी तहज़ीब की भाषा है जी ये उर्दू। इसीलिए हमारे देश की सरकारें अक्सर उधेड़बुन में रहती हैं कि आखिर पाकिस्तान को जवाब दें, तो दें किस भाषा में? इसीलिए सरकारों को रिस्पॉन्स में देर हो जाती है। लेकिन फ़िक्र मत करिए जैसे ही पाकिस्तान की 'भाषा' के बारे में कन्फर्म हो जाएगा, बता दिया जाएगा। फिलहाल तेल देखो, तेल की धार देखो।
पाकिस्तान की भाषा का पता लगाओ
Reviewed by Manu Panwar
on
October 04, 2016
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ReplyDeleteनिरन्तर लिखते रहिये ,,,
ReplyDeleteShukriyaa Lakhera ji blog per visit karne ke liye Aur comment ke liye
Deletelakherauk@gmail.com
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