जख्या : गाली भी और स्वाद भी !
मनु पंवार
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यह है जख्या, काले-भूरे दाने वाला बीज |
ऐसा आपने कई लोगों के मुंह से और अक्सर सुना होगा- अजी! आपकी तो गाली भी हमारे लिए आशीर्वाद की तरह है. अब आप ही बताइए, ये भला कैसे हो सकता है कि बंदा आपको गाली दिए जाए और आप आशीर्वाद समझकर उसे अपने सिर माथे रख दें? लेकिन कहने में क्या जाता है. कई बार चापलूसी में या कहीं झगड़ा शांत करने के लिए ऐसे कूटनीतिक बयान देने पड़ते हैं. लेकिन 'जख्या' के साथ ऐसा नहीं है. उसमें गाली भी है और स्वाद भी. खुला खेल फर्रुखाबादी. कोई कूटनीति नहीं. पॉलिटिकली करेक्ट होने की ज़रूरत ही ना पड़ती जी.
आखिर ये चक्कर क्या है? इसका खुलासा करने से पहले आपको बता दूं कि 'जख्या' है क्या चीज़. सरल शब्दों में कहूं तो जैसे आप दाल वगैरह में जीरे का छौंक या तड़का डालते हैं, उत्तराखण्ड के पहाड़ों में 'जख्या' भी लगभग वही काम आता है. इसे आप मसाले का हिस्सा भी मान सकते हैं. पहाड़ी जड़ी-बूटी या औषधि भी कह सकते हैं. लेकिन यह बहुत छोटे बीज की तरह होता है. काले-भूरे रंग का बीज (सामने तस्वीर में दिख रहा होगा).
यह खाने का स्वाद कई गुना बढ़ा देता है. कुछ वैसे ही जैसे बॉलीवुड की किसी मसालेदार फ़िल्म में डायरेक्टर आइटम सॉन्ग का तड़का डाल देता है. आलू के गुटके, राई और पालक की सब्जी, हरे प्याज की सब्जी, मूली की थिंच्योणी में तो 'जख्या' एक डेडली कॉम्बिनेशन है. इसका ज़िक्र उत्तराखण्ड के लोकप्रिय गीतकार/ गायक नरेन्द्र सिंह नेगी ने भी अपने एक गीत में किया है. उन्होंने लिखा है-
कबलाट प्वटग्यूं ज्वनि की भूख'
इस गीत का हिंदी भावानुवाद कुछ यूं है-
मूली की थिंच्वाणी (साग) में जब जख्या का तड़का लगता है, तो पेट में खलबली सी मच जाती है. आखिर जवान उम्र की भूख जो ठहरी.
'जख्या' का बॉटनिकल नाम भी पता चला है- क्लेम विस्कोसा (Cleome viscose).विकीपीडिया पर खोजा तो मालूम हुआ कि ऐसी प्रजाति को एशियन स्पाइडरफ्लावर या टिक वीड के नाम से भी जाना जाता है.
इस गीत का हिंदी भावानुवाद कुछ यूं है-
मूली की थिंच्वाणी (साग) में जब जख्या का तड़का लगता है, तो पेट में खलबली सी मच जाती है. आखिर जवान उम्र की भूख जो ठहरी.
'जख्या' का बॉटनिकल नाम भी पता चला है- क्लेम विस्कोसा (Cleome viscose).विकीपीडिया पर खोजा तो मालूम हुआ कि ऐसी प्रजाति को एशियन स्पाइडरफ्लावर या टिक वीड के नाम से भी जाना जाता है.
8 अक्तूबर, 2017 को टाइम्स ऑफ इंडिया में 'जख्या' पर एक लेख पढ़ा.
जिसमें जिक्र है कि नॉर्वे में रहने वाली एक आइरिश महिला 'जख्या' को लेकर इस
कदर क्रेज़ी है कि नॉर्वेजियन खाने में भी जख्या का इस्तेमाल करती है. यह चस्का उसे मसूरी आकर लगा.
लेकिन पढ़कर मुझे तो कतई हैरानी नहीं हुई. 'जख्या' है ही ऐसी चीज़. एक बार आपके मुंह को
लग गया तो आप बार-बार तलाशेंगे इसे. चाहे कहीं भी हों. महानगरों में बसा शायद ही कोई पहाड़ी परिवार हो जो गांव से अपने लिए 'जख्या' न लाता या मंगाता हो. इसका स्वाद अपने आप में लाजवाब है. गढ़वाल में तो यह पारम्परिक मसाले का मुख्य अवयव
है. गढ़वाल इलाके में इसे 'जख्या' और कुमाऊं इलाके में 'जखिया' नाम से जाना जाता है.
'जख्या' के साथ एक मज़ेदार बात भी जुड़ी हुई है. एक कहावत है, जिसे गुस्से
में गाली देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. हमारे गढ़वाल में गांवों में
जब अड़ोस-पड़ोस में झगड़ा बढ़ते-बढ़ते भीषण होने लगता है, तो अक्सर एक गाली सुनने को मिलती है- 'तेरि कूड़ी-पुंगड़ि मां जख्या जमलु'. जिसका हिन्दी में भावानुवाद कुछ इस तरह हुआ- जा, तेरे खेत-खलिहान में जख्या जमे. मने जब झगड़ा पीक पर पहुंच गया तो एक बंदे ने दूसरे बंदे को 'श्राप' टाइप दे दिया समझो. उस झगड़े में 'जख्या जमने' की कहावत किसी ब्रह्मास्त्र की तरह छोड़ दी जाती है. सामने वाला समझ जाता है कि बंदे ने कितना मारक हथियार चला दिया.
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टाइम्स ऑफ इंडिया में 'जख्या' पर लेख |
पहाड़ों में 'जख्या' को किसी खरपतवार की तरह ही जाना जाता है, जोकि किसी भी सिंचित और असिंचित ज़मीन पर उग जाता है. सबसे खास बात ये है कि 'जख्या' बंज़र ज़मीन पर भी उग आता है. इसलिए अगर झगड़े के दौरान कोई एक पक्ष किसी दूसरे पक्ष के खेत-खलिहान में जख्या जमने का 'श्राप' दे रहा है, तो समझ लीजिए कि कवि कहना ये चाहता है कि हे दुष्ट प्राणी..! जा, तेरे खेत-खलिहान बंजर हो जाएं. वैसे 'जख्या' का मूल चरित्र पहाड़ियों की तरह है. हर विपरीत हालात में भी उगना और अपना वज़ूद बनाना जानता है. असग़र वजाहत साहब के एक बहुचर्चित नाटक का नाम है- 'जिन लाहौर नहीं वेख्या ओ जनम्याई नई'. वजाहत साहब से माफ़ी के साथ मैं कहना चाहता हूं- जिन जख्या नहीं चख्या ओ जनम्याई नई'.
जख्या : गाली भी और स्वाद भी !
Reviewed by Manu Panwar
on
October 08, 2017
Rating:

बहुत अच्छी विस्तृत जानकारी पढ़ने को मिली ,धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत अच्छी विस्तृत जानकारी पढ़ने को मिली ,धन्यवाद!
ReplyDeleteKumudika
ReplyDeleteKya khoob likha hai।।
ReplyDeletekisi ne Kumudika.com pr likha hai, jara pado to