370 खत्म होते ही विवाह के अभ्यर्थियों की असली संख्या पता चली
मनु पंवार
साभार : कीर्तीश भट्ट का कार्टून उनके ट्विटर हैंडल से |
अगर जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने का फैसला न होता तो हमें तो पता ही नहीं चलता कि हमारी अवाम के भीतर कितने हसीन और कितने ख़तरनाक ख्वाब पल रहे हैं. कोई श्रीनगर की डल झील के किनारे प्लॉट लेने का सपना देख रहा है (चाहे वहां जगह हो न हो) तो कोई बोट हाउस चलाने के. कोई दरिया-ए-झेलम के करीब लहलहाती ज़मीन पर नज़रें गढ़ाए है. कोई ऊंची पहाड़ी पर सुंदर सी कोठी बनाने के ख्वाब देख रहा है तो किसी की गुलमर्ग, सोनमर्ग में बर्फीली ढलानों के पास हट हाउस बनाने की तमन्ना बलवती हो उठी है. मज़ेदार बात ये है कि इनमें कई ऐसे बंदे भी शामिल हैं जो खुद दिल्ली,नोएडा,गुड़गांव, गाजियाबाद के बिल्डरों से पिछले 10 साल से अपने फ्लैट नहीं ले पाए हैं.
लेकिन सपना देखने में किसी का क्या जाता है. फ्लैट न ले पाए न सही, इस बीच मार्केट में नया सपना आ गया है. बेहद हसीन सपना, जो जीते-जी सीधे 'जन्नत' के रास्ते खोल रहा है. दिलचस्प बात तो ये है कि इस फीलगुड माहौल के बीच कई चिरकुट तो कश्मीरी युवतियों से ब्याह करने के सपने संजोने लगे हैं, मानो अब तक उनके लगन में संविधान का अनुच्छेद 370 ही आड़े आ रहा था. मानो वहां हर लड़की इन चिरकुटों से ब्याह करने को एकदम तैयार बैठी हो और कह रही हो सजन कब आओगे? अरे भई, क्या वहां लड़कियां सिर्फ ब्याह करने के लिए ही हैं?
ऐसा लग रहा है कि इस चिरकुटाई में शामिल बंदों के भीतर 'डर' के शाहरुख खान की आत्मा घुस गई है. तू है मेरी किरन टाइप. मतलब बंदी से ये पूछने का मतलब ही नहीं कि तू रेडी है या नहीं. या बता तेरी रज़ा क्या है? बस उधर 370 खत्म हुई और उधर खुद ही तय कर लिया कि हमें ब्याह करना है, वो भी कश्मीरी लड़की से. अधिसूचना का भी इंतजार न किया. शादी और संविधान का ये सीधा कनेक्शन पहली बार पता चल रहा है. ऐसा क्यों नहीं कहते कि रक्षा बंधन आने वाला है, कश्मीर जाकर वहां की बहनों से राखी बंधवाएंगे? पर नहीं, करनी तो शादी ही है.
वाकई सपने देखने में हमारा कोई जवाब नहीं. लेकिन इस सपनीले माहौल के बीच मुझे तो उन बेचारे सत्यपाल मलिक साहब पर बड़ा तरस आ रहा है. वो सुबह जम्मू कश्मीर का राज्यपाल बनकर दफ्तर गए थे और शाम को उपराज्यपाल बनकर लौटे. उनका पद और उनके राज्य का कद, दोनों एक ही झटके में दो बिलांग छोटे हो गए. लेकिन जो भी हो, एक बात तो माननी पड़ेगी. सरकार ने जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के साथ-साथ विधानसभा भी दे दी ताकि सारे नेता कहीं एक ही झटके में बेरोज़गार न हो जाएं.
370 खत्म होते ही विवाह के अभ्यर्थियों की असली संख्या पता चली
Reviewed by Manu Panwar
on
August 05, 2019
Rating:
शानदार ।
ReplyDeleteशुक्रिया
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