पीवी सिंधु के लिए कैमरों के सामने दिनभर पूजा-पाठ, हवन-कीर्तन हो गया। ..चलो उठो।... चटाई समेटो। कल से फिर गोरक्षा पर निकलना है। वरना मातारानी माफ नहीं करेगी ।
(दो)
अगर तुम्हारे पूजा-पूजा-पाठ, हवन-कीर्तन से मेडल मिलता तो पिछले 12 साल से पुलेला गोपीचंद क्या घास छिल रहा था?
अथश्री सिंधु कथा
Reviewed by Manu Panwar
on
August 19, 2016
Rating: 5
पेश से टीवी पत्रकार हूं। दो दशक होने को हैं, जब अख़बार से निकलते हुए टेलीविज़न की गति को प्राप्त हुआ। आज भी वहीं टांग फंसाए हुए हूं। व्यंग्य पर हाथ साफ करने की कोशिश कर रहा हूं। अब तक दो व्यंग्य संग्रह आ चुके हैं। एक Juggernaut.in से और दूसरा हिंदी अकादमी से। रोज़ाना की दिलचस्प घटनाओं/ख़बरों पर रायता फैलाने का मेरा अड्डा यही है। इधर आते रहिएगा। कम लिखा है ज़्यादा समझना।
बक़लम खुद- मनु पंवार
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