मिस्ड कॉल से अपना बनाने की कला

मनु पंवार

मिस्ड कॉल के बाद की तस्वीर
अक्सर घरवाले ताने देते रहते थे कि तुमने अवसरों को मिस कर दिया। लेकिन मिस करना ही एक दिन अवसर बन जाएगा, ऐसा भला किसने सोचा था। हम शुक्रगुज़ार है अपने समय की राजनीतिक पार्टियों के, जिन्होंने मिस करने को मिस्ड कॉल में कनवर्ट कर दिया। अब देखिए न, इन दिनों राजनीतिक दलों में मिस्ड कॉल से मेंबर बनाने का ट्रेंड चल पड़ा है। ऐसा करते-करते बीजेपी वाले दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन गए। 

मैं सोच रहा हूं कि राजनीति की तरह अगर जीवन में भी मिस्ड कॉल को उचित जगह और उचित सम्मान मिलता तो आज के दौर की प्रेम कहानियों का हश्र वैसा नहीं होता, जैसा अक्सर हुआ करता है।  एक मिस्ड कॉल मारी और सामने वाला/ वाली सीधे दिल में उतर गया/ गई। न परिचय पत्र दिखाने की औपचारिकता, न फॉर्म भरने का झंझट। न डेटिंग की टेंशन, न प्रेमी के पॉकेट पर कोई अतिरिक्त बोझ।

हम जिसे चाहते, उसे मिस्ड कॉल मारते और झट से अपना बना लेते। प्रेम की डगर बड़ी सरल हो जाती। प्रेम कहानियां थोक के भाव से परवान चढ़ती। प्रेम के प्रकटीकरण की स्पीड भी बढ़ जाती। आशिकी में इम्तिहानों से गुजरने की आशिकों की टेंशन भी एक मिस्ड कॉल से ख़त्म। वरना तो किसी को अपना बनाने के लिए बड़े पापड़ बेलने पड़ते हैं। लेकिन इसमें खतरा भी है। राजनीति के फंडे अक्सर निजी जीवन में ज्यादा काम नहीं आते।
मिस्ड कॉल से अपना बनाने की कला मिस्ड कॉल से अपना बनाने की कला Reviewed by Manu Panwar on August 08, 2016 Rating: 5

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