मिस्ड कॉल से अपना बनाने की कला
मनु पंवार
![]() |
मिस्ड कॉल के बाद की तस्वीर |
मैं सोच रहा हूं कि राजनीति की तरह अगर जीवन में भी मिस्ड कॉल को उचित जगह और उचित सम्मान मिलता तो आज के दौर की प्रेम कहानियों का हश्र वैसा नहीं होता, जैसा अक्सर हुआ करता है। एक मिस्ड कॉल मारी और सामने वाला/ वाली सीधे दिल में उतर गया/ गई। न परिचय पत्र दिखाने की औपचारिकता, न फॉर्म भरने का झंझट। न डेटिंग की टेंशन, न प्रेमी के पॉकेट पर कोई अतिरिक्त बोझ।
हम जिसे चाहते, उसे
मिस्ड कॉल मारते और झट से अपना बना लेते। प्रेम की डगर बड़ी सरल हो जाती। प्रेम
कहानियां थोक के भाव से परवान चढ़ती। प्रेम के प्रकटीकरण की स्पीड भी बढ़ जाती। आशिकी
में इम्तिहानों से गुजरने की आशिकों की टेंशन भी एक मिस्ड कॉल से ख़त्म। वरना तो
किसी को अपना बनाने के लिए बड़े पापड़ बेलने पड़ते हैं। लेकिन इसमें खतरा भी है। राजनीति
के फंडे अक्सर निजी जीवन में ज्यादा काम नहीं आते।
मिस्ड कॉल से अपना बनाने की कला
Reviewed by Manu Panwar
on
August 08, 2016
Rating:

No comments