...अगला नम्बर आपका है

मनु पंवार

 "जिन पर लुटा चुका था मैं दुनिया की दौलतें    
शायर डॉ. नवाज देवबंदी के साथ उस दिन की फोटो
उन वारिसों ने मुझको कफ़न नाप कर दिया।"

लिखना हुआ तो यह हुआ कि मुहावरा बन जाए। ऐसे कई शायर/ कवि अनाम रह गए मगर उनकी शायरी/ कवितायें लोगों की ज़ुबान पर चढ़ गईं। डॉ.नवाज़ देवबंदी हालांकि गुमनाम शायर नहीं हैं, मगर उनके कहे ऐसे कई शे'र बहुत दूर-दूर तक पहुंचे। उनकी शायरी कद्रदानों तक पहले पहुंची और बाद में पता चला कि शायर कौन है। कई बार तो पता ही नहीं चलता कि यह शे'र आखिर कहा किसने है।

"जलते घर को देखने वालों फूस का छप्पर आपका है।
आग के पीछे तेज़ हवा है, आगे मुकद्दर आपका है।

उसके क़त्ल पे मैं भी चुप था, अगला नम्बर मेरा था
मेरे क़त्ल पे आप भी चुप हैं, अगला नम्बर आपका है।"

डॉ.नवाज़ देवबंदी 24 जुलाई 2016 को इतवार के दिन नोएडा फ़िल्म सिटी स्थित मारवाह स्टूडियोज़ में आयोजित 'शब्दोत्सव' में पहुंचे। कविता का यह समागम पहली बार टीवी न्यूज़ चैनलों में काम करने वाले पत्रकार-कवियों ने कराया।
एबीपी न्यूज़ में हमारे मित्र विजय शर्मा इसके सूत्रधार थे, जिसमें यह ख़ाकसार भी कवि के तौर पर शामिल हुआ।

टीवी वाले कवियों का एक समूह चित्र
हम सब ने एक-दूसरे की सुनी और सुनाई लेकिन पूरे शब्दोत्सव में डॉ. नवाज़ देवबंदी के शेर देर तक गूंजते रहे। वो इस समारोह के ख़ास मेहमान थे। 

शब्दोत्सव में हमने भी अपनी कही
नवाज़ साहब नए कवियों को सुनने के लिए आखिर तक बैठे रहे और जब अपनी कही तो महफिल लूट ली। उनका एक और शेर देखिए-
"मेरे हिस्से के कतरों पे पहरा बैठा रक्खा है।
उसने अपनी प्यास की खातिर दरिया कब्ज़ा रक्खा है।"

मरहूम जगजीत सिंह ने भी नवाज़ देवबंदी की कई ग़ज़लें गाई हैं। उनकी गाई एक मशहूर ग़ज़ल की कुछ पंक्तियां नीचे दे रहा हूूं जो उन्होने शब्दोत्सव में भी सुनाईं-

"वो रुलाकर हंस न पाया देर तक।
जब मैं रोकर मुस्कुराया देर तक।
भूखे बच्चों की तसल्ली के लिए
मां ने फिर पानी पकाया देर तक।"

शब्दोत्सव में उनकी शायरी का एक छोटा सा टुकड़ा वीडियो की शक्ल में यहां भी अपलोड कर रहा हूं सुनिएगा-


...अगला नम्बर आपका है ...अगला नम्बर आपका है Reviewed by Manu Panwar on July 31, 2016 Rating: 5

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