स्टिंग वाले गुरु और गोविंद
मनु पंवार
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Cartoon Courtesy: Economic Times |
गुरु और गोविन्द (भगवान) में सुपर कौन है, इस पर बहस सदियों से चल रही है। एक दौर में कबीरदास जी को भी ऐसे ही विकट सिचुएशन फेस करनी पड़ी थी। इसी उलझन में शायद उन्होंने कभी दोहा कहा था, 'गुरु गोविन्द दोऊ खड़े काके लागूं पाय?' लेकिन वह कबीर थे। काफी माथापच्ची के बाद उन्होंने इसका सॉल्यूशन भी ढूंढ ही निकाला था। बोले- 'बलिहारी गुरु आपने गोविन्द दियो बताय।' अर्थात् गुरु और गोविंद जब दोनों सामने खड़े हों तो बेटा किसी कनफ्यूजन में मत रहना। चट से गुरु के पैर पड़ जाना।
लेकिन न जाने क्यों कलियुग में सब कुछ गड्डमड्ड हो गया। पता ही नहीं चल रहा है कि गुरु कौन है और गोविन्द कौन? कभी-कभी तो यह लगता है कि जिसने भरी सभा में चेलों को स्टिंग ऑपरेशन करने की दीक्षा दी थी, वही गुरु है। लेकिन दृश्यान्तर होते ही तस्वीर उलट-पुलट हो जाती है। असली गुरु तो वह चेला निकला जिसने अपने गुरु का ही स्टिंग ऑपरेशन कर दिया।
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Pic Courtesy: India TV |
असल में हुआ ये कि चेलों को स्टिंग से दीक्षित करने के बाद यह जो गुरु हैं, वह गोविन्द की गति को प्राप्त हो गए। इस तरह गुरु वाली पोस्ट स्वत: ही रिक्त हो गई। चूंकि कबीरदास जी के कथनानुसार गोविन्द तक पहुंचने का मार्ग केवल गुरु ही बता सकता है, लिहाजा चेलों में गुरु बनने की होड़ मच गई। कंपटीशन बड़ा तगड़ा था। लेकिन कामयाबी उसे मिली जिसने अपने ही गुरु की बैंड बजा दी। वैसे भी अब वो चेले तो रहे नहीं जो गुरु के कहने पर अपना अंगूठा काटकर गुरु के चरणों में सहर्ष अर्पित कर दिया करते थे। अंगूठा अब काटने के नहीं बल्कि दिखाने के काम आता है।
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Pic Courtesy: ABP News |
वैसे अब के दौर के चेलों में वो वाली दुविधा भी नहीं रही कि गुरु और गोविन्द के एक साथ खड़े होने की स्थिति में वो पहले किसके पांव छुएं? यह दुविधा अब सुविधा में बदल गई है। यानी गुरु और गोविन्द दोनों का एक साथ खड़ा होना चेले कि लिए बड़ी फायदेमंद सिचुएशन है। उसके सामने विकल्प आ गया है कि वो पहले किसका स्टिंग करे। गुरु का या गोविन्द का।
स्टिंग वाले गुरु और गोविंद
Reviewed by Manu Panwar
on
September 04, 2016
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Bhaut badiya vyang laga... isme yeh line kaafi khaas lagi "अंगूठा अब काटने के नहीं बल्कि दिखाने के काम आता है।"... Congratulations.... sach mein.. aapke vyang bahut majedaar hote hain...
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Deleteशुक्रिया अखिल जी
ReplyDeleteआप ब्लॉग पढ रहे हैं,मेरे लिए यही मायने रखता है। प्रतिक्रिया देने के लिए बहुत धन्यवाद। कोशिश करूंगा कुछ मज़ेदार पढने के लिए उपलब्ध कराता रहूं
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ReplyDeleteबहुत बढ़िया और सामयिक ब्यन्ग है।
ReplyDeleteसाधुवाद।
एक उत्कृष्ट शैली का व्यंग। शुभकामनाये।
ReplyDeleteसुन्दर ब्यंग्य
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