'सबका', 'स्कैम' और 'कसाब'

मनु पंवार

वो तो गनीमत है कि मोदी जी और अमित शाह जी किसी स्कूल में मास्टर नहीं रहे. वरना वो रोज जो नित नई शब्दावली गढ़ रहे हैं, उससे विद्यार्थियों में घणा कनफ्यूजन हो जाता. अब देखिए न, जो 2014 के चुनाव में यूपी में जिस सपा, बसपा और कांग्रेस को मोदीजी ने 'सबका' नाम दिया था, उसी को 2017 के विधानसभा चुनाव में उनके हनुमान शाहजी ने उलटकर 'कसाब' कर दिया.

इस बात को भला कौन भूला होगा. 2014 के आम चुनाव में यूपी में अपने तूफानी प्रचार अभियान के दौरान मोदी जी ने चुनावी रैलियों में 'सबका' को साफ करने की बात कही थी. इस 'सबका' का मतलब वो रैलियों में समझाते थे, 'स' से सपा, 'ब' से बसपा और 'का' कांग्रेस. लेकिन जब सरकार बनी तो नारा दे दिया- 'सबका साथ सबका विकास'. लो कल्लो बात...! चुनाव जीतने के बाद मोदीजी का 'सबका' सबका न रहा. इससे तो पब्लिक में घणा कनफ्यूजन पैदा हो गया जी. आपने सत्ता में आकर उसी 'सबका' के मायने बदल दिए, जिसको दुश्मन बताकर वोट झटके थे. तब 'सबका' को विलेन बनाया था, उनके ख़िलाफ़ जबर्दस्त प्रहार किए थे, अब 'सबका साथ- सबका विकास' की नई टैगलाइन के साथ कल्याण के कोरस चल रहे हैं.

इस पर भी तुर्रा ये कि इन विधानसभा चुनावों में मोदीजी ने एक और जुमला लॉन्च कर दिया. नाम है- 'स्कैम' (SCAM). वो भी तब जबकि लोग अभी 2014 के उस 'सबका' को भूले भी नहीं हैं कि मोदी जी ने इन विधानसभा चुनावों में एक और जुमला लॉन्च कर दिया. 'स्कैम' (SCAM).  बताइए, जो समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस 2014 में मोदी जी के बनाए 'सबका' वाले गठबंधन में थे, 2017 में उसी 'सबका' गठबंधन से मोदीजी ने सपा, बसपा और कांग्रेस को बाहर निकालकर एक और गठबंधन बना दिया. उसका नया नामकरण कर दिया स्कैम (SCAM). समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, अखिलेश और मायावती.

अब ये मत कहना कि मोदीजी ने कुछ किया नहीं. भई, दो अलग-अलग चुनावों के लिए उन्होंने दो अलग-अलग जुमले तो लॉन्च किए ही. ये क्या कम है? अब आप 'स्कैम' को नई बोतल में 'सबका' वाली पुरानी शराब कहते हो, तो कहते रहो. इससे मोदीजी को क्या फर्क पड़ता है.
'सबका', 'स्कैम' और 'कसाब' 'सबका', 'स्कैम' और 'कसाब' Reviewed by Manu Panwar on February 07, 2017 Rating: 5

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