आतंकी के 'साहित्य' का चक्कर क्या है?

मनु पंवार
8 मार्च को लखनऊ एनकाउंटर में मारा गया मोहम्मद सैफुल्लाह

ऐसा अक्सर होता है. पुलिस के एनकाउंटरों, पुलिस की छापेमारी के बाद अक्सर ऐसा कहा जाता है कि फलां आतंकी से कुछ हथियार और कुछ साहित्य बरामद हुआ. वैसे 'साहित्य' यानी लिटरेचर नाम में ही गंभीर किस्म की चीज़ छिपी हुई है. लखनऊ में जब लंबी मुठभेड़ के बाद पुलिस और एटीएस ने एक संदिग्ध आतंकी सैफुल्लाह को मार गिराया तो बताया गया कि उसके पास कुछ साहित्य भी बरामद हुआ है. साहित्य को लेकर हमारी जो समझ है, उसको देखते हुए चौंकना लाजिमी था. अगर वो आतंकी था तो उसका भला 'साहित्य' से क्या लेना-देना? वो तो बम, बारूद, बंदूक की भाषा जानता और समझता है. वो भला 'साहित्य' कब और क्यों पढ़ता रहा होगा? लिहाजा 'साहित्य' वाली बात पर माथा चकरा गया.


वैसे इस 'साहित्य' की पुलिसिया परिभाषा भी दिलचस्प है. पुलिस जेहादी किस्म की प्रचार सामग्री को साहित्य कहती है. उसके लिए वो प्रोपेगैंडा मटीरियल ही साहित्य है. यह सुनकर असली साहित्य शर्म से पानी-पानी हो सकता है. मगर क्या कीजे. हालांकि आज तस्वीरें देखीं तो कुछ-कुछ 'साहित्य' का कनेक्शन समझ में आया. सैफुल्लाह नाम के उस संदिग्ध के ठिकाने से जो सामान बरामद किया गया है, उसमें 'दैनिक भास्कर' अख़बार की प्रतियां भी हैं. आप चाहें तो ये अंदाज़ा लगा सकते हैं कि वो संदिग्ध आतंकी सैफुल्लाह 'दैनिक भास्कर' का कट्टर पाठक रहा होगा. वैसे भी सैफुल्लाह से एक नहीं, दो-दो अख़बार बरामद हुए हैं.

सैफुल्लाह से बड़ी मात्रा में हथियार और विस्फोटक मिले
वैसे दिलचस्प बात ये भी है कि जो यूपी पुलिस रेप के आरोपी भगोड़े मंत्री गायत्री प्रजापति को इत्ते दिनों से न ढूंढ पाई, उसने एक संदिग्ध सैफुल्लाह को तुरंत खोज निकाला. गायत्री प्रजापति अपने अज्ञात ठिकाने पर पेट पकड़कर हंस रहे होंगे. सुना है कि प्रजापति ने वहीं से सैफुल्लाह को लानत भेजी है. अब सबकी नज़र 11 मार्च के चुनाव नतीजों पर है. तब न जाने किन-किन का 'सैफुल्लाह' हो जाएगा.


आतंकी के 'साहित्य' का चक्कर क्या है? आतंकी के 'साहित्य' का चक्कर क्या है? Reviewed by Manu Panwar on March 08, 2017 Rating: 5

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