सुरक्षित तरीके से 'बेहोश' होने के नुस्खे !
मनु पंवार
सबसे पहले यह ध्यान रखना जरूरी है कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो बात आप कहना चाहते हैं, वह बिंदास कह डालें। पूरा समय लें। उसके बाद ही मूर्च्छित हों। जहां पर बेहोश हो रहे हों, वहां पर अच्छी तरह से देख लें कि आगे-पीछे आपके बंदे मुस्तैद हैं कि नहीं। अगर आपने कुर्सी पर बैठकर बेहोश होने का प्लान बनाया है, तो पहले यह सुनिश्चित कर लें कि 'अचेत' होकर आगे की ओर गिरेंगे कि पीछे की ओर? मेरी राय है कि पीछे गिरने से चोट लगने का डर है। सिर भी फूट सकता है। लेने के देने पड़ जाएंगे। सुरक्षित उपाय यही है कि आगे की ओर गिरें। लेकिन पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आगे टेबल जरूर लगा हो।
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| रविवार 14 मई को केजरीवाल के खिलाफ प्रेस क़ॉन्फ्रेंस पूरी करने के बाद कपिल मिश्रा इस अंदाज़ में 'मूर्च्छित' हुए |
सुरक्षित तरीके से मूर्च्छित अर्थात् बेहोश कैसे हों, इस पर अभी मार्केट में कोई कायदे की रिसर्च या किताब नहीं आई है। लेकिन हम आपको जो नुस्खे बताने जा रहे हैं, वो शुद्ध देसी किस्म के हैं और लेटेस्ट हैं। यही नहीं, उन्हें सफलतापूर्वक आजमाया भी जा चुका है।
जैसा शब्द से ही स्पष्ट है, बेहोश यानी जब बंदा होश में नहीं रहता। वो सुध-बुध खो देता है और अचेत पड़ जाता है। बस सांस चल रही होती है, बाकी उसे कुछ पता नहीं चलता। लेकिन ऐसी बेहोशी में ख़तरे बहुत हैं। जान जाने का ख़तरा रहता है। ऐसी मूर्च्छा त्रेता युग में लक्ष्मण जी को आई थी। कितनी मुश्किल हुई थी तब। वनवासी रामजी के सामने सबसे चुनौतीभरा वक्त था वो। वो तो शुक्र है कि वक्त पर सुषैण वैद्य खोज लिए गए। जिनकी सलाह पर हनुमानजी हिमालय से संजीवनी बूटी ले आए और उसका असर यह हुआ कि लक्ष्मण जी को होश आ गया। उसके बाद की रामायण आप जानते ही हैं।
लेकिन हम आपको बताने जा रहे हैं कि सुरक्षित तरीके से बेहोश कैसे होना चाहिए? यह तरीका एकदम नया है। अभी-अभी मार्केट में आया है। पहली बार राजनीति में इसका सफलतापूर्वक प्रयोग भी हो चुका है। इसकी पहली शर्त तो यह है कि आप कभी भी अकेले में मूर्च्छित न हों। ऐसी मूर्च्छा किस काम की कि ज़माने को ख़बर ही न हो? जंगल में मोर नाचा किसने देखा?
इसलिए मूर्च्छित होने के लिए पूरा माहौल बनाएं। अगर आपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मूर्च्छित होने का प्लान किया है तो यह जरूरी है कि सही दिन और सही समय चुना हो। पर्याप्त संख्या में मीडिया वाले हों, कैमरे हों और हां, एंबुलेंस का मौजूद होना भी बहुत ज़रूरी है।
इसलिए मूर्च्छित होने के लिए पूरा माहौल बनाएं। अगर आपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मूर्च्छित होने का प्लान किया है तो यह जरूरी है कि सही दिन और सही समय चुना हो। पर्याप्त संख्या में मीडिया वाले हों, कैमरे हों और हां, एंबुलेंस का मौजूद होना भी बहुत ज़रूरी है।
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| 'बेहोश' होने की घड़ी : इसी के बाद कपिल मिश्रा मूर्च्छित हो गए |
जैसे ही 'मू्र्च्छित' होने की घड़ी आए, अपनी आंखें बंद करें और सिर को फिल्मी स्टाइल में राउंड-राउंड ऐसे घुमाएं जिससे कैमरे वालों को पता चल जाए कि आप बेहोश होने वाले हैं। कृपया यह ज़रूर ध्यान रखें कि आपको कुर्सी के पीछे की तरफ नहीं गिरना है, इसमें खतरा है। 'सुरक्षित मूर्च्छा' का पहला नियम यह है कि आपको आगे की तरफ रखी टेबल पर गिरना है। लेकिन गिरते वक्त कहीं आपका माथा टेबल से न टकरा जाए, इसका भी खास ध्यान रखें। इसके लिए जरूरी है कि हाथ के ऊपर हाथ अच्छी तरह से धर लें। दोनों हाथों को कस कर पकड़ें और माथे को बचा लें।
तो इस तरह आप सुरक्षित ढंग से 'बेहोश' हो जाएंगे। बाकी का काम वहां पर तैनात मीडिया, उनके कैमरों, वहां खड़ी एंबुलेंस और अपने बंदों के ऊपर छोड़ दीजिए। सब कुछ प्लान के मुताबिक ही होगा।
सुरक्षित तरीके से 'बेहोश' होने के नुस्खे !
Reviewed by Manu Panwar
on
May 15, 2017
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Reviewed by Manu Panwar
on
May 15, 2017
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vah ji vah
ReplyDeleteधन्यवाद जी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया।
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