दूसरों को बिठाकर खुद खड़ा होने की कला

मनु पंवार

यह भी दिलचस्प है। कई बंदे बैठे-बैठे ज़िंदगी का मज़ा ले लेते हैं। लेकिन कई बंदों को बिठाने में ही दूसरों के पसीने छूट जाते हैं। जैसे इलेक्शन में अक्सर होता है। लेकिेन मीरा कुमार ने तो कमाल ही कर दिया। आपको याद होगा, मीरा कुमार जब लोकसभा की स्पीकर थीं, तो अक्सर संसदीय कार्यवाही संचालित करने के दौरान उनकी आवाज़ गूंजती थी- 'बैठ जाइए...बैठ जाइए'।  लेकिन अब देखिए कि दूसरों को बिठाते-बिठाते मीरा कुमार आज खुद ही खड़ी हो गईं। वो भी राष्ट्रपति के चुनाव में।

वैसे राष्ट्रपति चुनाव में भी गजब का सीन बना। जिन बंदों के नाम सुर्खियों में आए उनमें एक तो 'राम' हैं, एक 'कृष्ण' हैं और अब 'मीरा' भी। लेकिन सबसे बड़ा धर्मसंकट नीतीश कुमार के सामने आ गया है। जब बिहार के राज्यपाल और यूपी के निवासी रामनाथ कोविंद का नाम एनडीए ने घोषित किया, तो नीतीश बाबू बोले थे- "मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से प्रसन्नता की बात है।"  अब यूपीए ने बिहार की ही दलित नेता मीरा कुमार का नाम घोषित कर दिया। ऐसी सिचुएशन में अब नीतीश बाबू को कहना चाहिए-'मेरे लिए  सार्वजनिक रूप से प्रसन्नता की बात है।
दूसरों को बिठाकर खुद खड़ा होने की कला दूसरों को बिठाकर खुद खड़ा होने की कला Reviewed by Manu Panwar on June 22, 2017 Rating: 5

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