इत्ती खुश क्यों हैं सुषमा जी?
मनु पंवार
हर रिपोर्टर को अपनी बीट (जिस फील्ड की कवरेज उसके जिम्मे होती है) बड़ी प्यारी होती है। उसमें उसे किसी का भी दखल बर्दाश्त नहीं होता। लेकिन कभी-कभी मुझे विदेश मंत्री सुषमा स्वराज उस रिपोर्टर के जैसी लगती हैं
जिसकी बीट की बड़ी ख़बरों पर खुद उसका ब्यूरो चीफ या एडिटर अतिक्रमण कर देता है। लिहाजा रिपोर्टर बेचारे को
छोटी-छोटी ख़बरों से ही काम चलाना पड़ता है। ऐसा बहुत बार
हुआ है जब विदेश मंत्रालय के मामले खुद मोदीजी डील करने लगे और सुषमा जी
सीन में कहीं दिखाई भी नहीं दीं।
लेकिन मानना पड़ेगा। सुषमाजी ने भी कमाल कर दिया। एक चतुर रिपोर्टर की तरह अपनी बीट की छोटी-छोटी ख़बरों में ही सुर्खियां बटोर ले गईं। ट्विटर के जरिये कभी किसी की मदद कर दी, कभी किसी बिछड़े को मिला दिया, कभी किसी फंसे को निकलवा दिया। ऐसे ही छोटे-छोटे कामों से ही सुषमा जी ने बड़ा नाम कमा दिया। ब्यूरो चीफ या एडिटर के अतिक्रमण के बाद उनके पास अपने लिए जो कारपेट एरिया बचा था, उन्होंने उसी में संभावनायें तलाशीं और हिट हो गईं।
उन्होंने इत्ती लोकप्रियता बटोर ली कि उनके एडिटर (मोदीजी) को भी उनको खुलकर दाद देनी पड़ी। इन दिनों अमेरिका दौरे पर गए प्रधानमंत्री
मोदी जी ने कल अमरीका में सुषमा स्वराज की बहुत तारीफ कर दी। अख़बारी भाषा में कहें तो ऐसा लगा कि
किसी एडिटर ने अपने रिपोर्टर को तीन साल बाद कोई बायलाइन (क्रेडिट लाइन ) दी हो। इसकी खुशी
सुषमा स्वराज से छिपाए भी न छिपीं। आज ही उन्होंने लंबे समय बाद कोई
पॉलिटिकल ट्वीट दे मारा। जबकि वो विदेश मंत्रालय में होने की वजह से देश की अंदरुनी राजनीति के मसलों से दूरी बनाए रखती हैं। इसीलिए तो कहता हूं कि एडिटरों-ब्यूरो चीफों को समय-समय पर अपने रिपोर्टरों को बाइलाइन देते रहना चाहिए। रिपोर्टर का हौसला तो बढ़ता ही है, अच्छी ख़बरें भी मिल जाती हैं।
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| 28 जून 207 को अमेरिका समेत 3 देशों की यात्रा से लौटे पीएम मोदी का स्वागत करने सुषमा स्वराज पहुंचीं |
इत्ती खुश क्यों हैं सुषमा जी?
Reviewed by Manu Panwar
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June 26, 2017
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