'आप' की सेहत के लिए गर्मी अच्छी नहीं है
मनु पंवार
आम आदमी पार्टी भारतीय गणराज्य की उन चुनींदा राजनीतिक पार्टियों में है जिसका जन्म जाड़े में हुआ. 26 नवंबर 2012. वो भी जाड़े के दिन थे. जाड़े में ही दो बार सत्ता में भी आई. इस तरह यह जाड़ों की पार्टी है. जाड़ा उसके दिलो-दिमाग़ में बुरी तरह से घुसा हुआ है. इसीलिए लगता है कि आम आदमी पार्टी को गरम मौसम सूट नहीं करता.
असल में जाड़ा भी एक अलग तरह की मनोदशा होती है. प्राय: देखा गया है कि बड़े मौकों पर उसके बड़े लीडर दुबक जाया करते हैं. ‘आप’ के लीडरों में यह लक्षण भी जाड़े से ही आया है. जाड़े में कैसे-कैसे लोगों को रजाई या कंबल के भीतर दुबकना पड़ता है. दुबकना जाड़े की मनोदशा का सबसे बड़ा सूचक है.
जाड़ा ‘आप’ को सूट करता है. इसकी एक बड़ी वजह यह भी जान पड़ती है कि जाड़े के मौसम में इस पार्टी में संक्रमण की संभावनायें न्यूनतम हो जाती हैं. क्योंकि तब मफलर, स्वेटर और टोपी इत्यादि इसे बाहरी मौसम की चपेट में आने से बचा लेते हैं. जाड़ा निपटते ही पार्टी में संक्रमण की संभावनायें बढ़ जाती हैं. इसीलिए ‘आप’ को गरम मौसम से एलर्जी है.
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साभार : Google |
असल में जाड़ा भी एक अलग तरह की मनोदशा होती है. प्राय: देखा गया है कि बड़े मौकों पर उसके बड़े लीडर दुबक जाया करते हैं. ‘आप’ के लीडरों में यह लक्षण भी जाड़े से ही आया है. जाड़े में कैसे-कैसे लोगों को रजाई या कंबल के भीतर दुबकना पड़ता है. दुबकना जाड़े की मनोदशा का सबसे बड़ा सूचक है.
जाड़ा ‘आप’ को सूट करता है. इसकी एक बड़ी वजह यह भी जान पड़ती है कि जाड़े के मौसम में इस पार्टी में संक्रमण की संभावनायें न्यूनतम हो जाती हैं. क्योंकि तब मफलर, स्वेटर और टोपी इत्यादि इसे बाहरी मौसम की चपेट में आने से बचा लेते हैं. जाड़ा निपटते ही पार्टी में संक्रमण की संभावनायें बढ़ जाती हैं. इसीलिए ‘आप’ को गरम मौसम से एलर्जी है.
जैसे गरमी के दस्तक देने के साथ ही बंदा शरीर पर लदे वस्त्रों की संख्या धीरे-धीरे उतारने लगता है, उसी तरह इस जाड़े वाली पार्टी में भी नैतिकता, ईमानदारी, सिद्धांत, पारदर्शिता, शुचिता, डेमोक्रेसी जैसे ओढ़े हुए सारे वस्त्र प्याज के छिलकों की तरह एक-एक करके उतरने लगते हैं. पब्लिक की आंखों के सामने अचानक एक नग्न और विवादित सा ढांचा प्रकट होने लगता है.
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जाड़ा सूट कर जाता है. लेकिन गरम मौसम ‘आप’ के अनुकूल नहीं है. जाड़े वाला बंदा भला गर्मी की तासीर क्या जाने? साइबेरिया का पक्षी अगर गर्मी से तपते मौसम में राजस्थान के चुरू में उड़ान भरे तो उसका पार्थिव शरीर ही ढूंढना पड़ेगा. गर्मी दिमाग में चढ़ने लगती है.
इसलिए अब आइंदा से पब्लिक से 'पांच साल' मत मांगना, साढ़े सात साल मांगना. गर्मी के छह-छह महीने अपने खाते से घटाकर मांगना. गरम मौसम में खुद को स्थगित कर दो तो अच्छा. गरमी ‘आप’ की सेहत के लिए अच्छी नहीं है.
इसलिए अब आइंदा से पब्लिक से 'पांच साल' मत मांगना, साढ़े सात साल मांगना. गर्मी के छह-छह महीने अपने खाते से घटाकर मांगना. गरम मौसम में खुद को स्थगित कर दो तो अच्छा. गरमी ‘आप’ की सेहत के लिए अच्छी नहीं है.
'आप' की सेहत के लिए गर्मी अच्छी नहीं है
Reviewed by Manu Panwar
on
November 26, 2017
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