मुगली घुट्टी भी मुगलों ने बनाई थी!

मनु पंवार

बात तो सिर्फ इत्ती सी थी कि 'मुगल सराय' नाम से मुग़लों जैसा फील आ रहा था, इसलिए सरकार बहादुर ने नाम बदल दिया. पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन हो गया है. मुगल सराय एक ही झटके में अतीत हो गया. 'मुग़ल' आंखों में खटक रहा था. सो, मुग़ल सराय की बलि ले ली गई. लेकिन कुछ बंदे तो इससे भी आगे बढ़ गए जी. कहने लगे कि ताज महल चूंकि मुग़ल बादशाह ने बनाया था, इसलिए ये तो इतिहास का काला अध्याय है. बताइए, इत्ती चिट्टी सफेद संगमरमर की इमारत काला अध्याय है, ये अब जाके पता चला. 



लेकिन अब सरकार बहादुर ने ठान ली है कि 'आक्रमणकारी' मुग़लों का नामोनिशां मिटाना है तो बस मिटाना है. जैसे सनी देओल साहब ने डायलॉग मारा था- नो इफ नो बट, ऑनली जट.  ऐसे मौसम में अब मुझे ऐसी हर चीज़ पर संदेह होने लगा है जिसमें मुगल नाम जुड़ा है. मुगल गार्डन, मुगलई पराठा इत्यादि. मन में ये सवाल भी कौंध रहा है कि कहीं ये 'मुग़ली घुट्टी' भी तो मुग़लों ने नहीं बनाई होगी? बचपन से टीवी-रेडियो पर विज्ञापन सुनते आ रहे हैं-

'होंगे बच्चे स्वस्थ, फले-फूलेगा बचपन
इन्हें पिलाओ मुग़ली घुट्टी पांच सौ पचपन.'


अपने बचपन में शायद सभी ने पी होगी. हिंदू-मुस्लिम सभी ने. लेकिन ये रहस्य समझ में नहीं आया कि इसका नाम मुग़ली घुट्टी ही क्यों है? हिंदू घुट्टी क्यों नहीं है? और 555 ही क्यों? 56 क्यों नहीं? क्या तब 56 इंच का चलन नहीं था? अपन ने जब मुगली घुट्टी-555 की उत्पत्ति के बारे में सोशल मीडिया के अपने ज्ञानी मित्रों से अपनी बाल सुलभ जिज्ञासा साझा की, तो एक से एक दिलचस्प चीज़ें पता चलीं. एक मित्र इंदर मोहन ने तो मेरा कनफ्यूज़न और बढ़ा दिया. कहने लगे, अरे ये मुगली घुट्टी पुराने ज़माने में 'मोगली घुट्टी' थी. जंगल बुक वाली. बाद में मुग़लों ने इसे हाईजैक कर लिया और इसका नाम मुगली घुट्टी कर दिया. बताइए! मुझे तो लगता है कि अगर अब जब कभी भी 'मुगली' की घर-वापसी होगी तो उसका नाम 'मोगली' ही रक्खा जाएगा.

मुगल-कालीन ?  फोटो : चंद्रमोहन ज्योति
लेकिन अपन मुगली घुट्टी के रहस्य से आगे नहीं बढ़ पाए थे कि हमारे एक वरिष्ठ पत्रकार साथी चंद्रमोहन ज्योति ने एक 'ज़मीन' से जुड़ा सवाल उठा दिया. उनने एक कालीन का सवाल उछाला (कालीन ज़मीन पर बिछी होती है, इसलिए ज़मीन से जुड़ा सवाल था). उनने कालीन की एक पिक्चर चेप कर पूछ दिया कि ज़रा पता करो कि ये 'मुगल कालीन' क्या बला है? इस कालीन को कौन सा मुगल शासक इस्तेमाल करता था? यह सुनकर तो अपना माथा ही ठनक गया. बताइए, ये तो वही बात हो गई कि गए थे नमाज पढ़ने, रोजे गले पड़ गए.

ऐसा लगा कि बाल सुलभ जिज्ञासा शांत करने के चक्कर में अपन ने कोई गुनाह कर दिया. हमारी मुगली घुट्टी का रहस्य सुलझा नहीं कि भाई साहब ने 'मुगल कालीन' के रहस्य के बारे में पूछ लिया. सच कहूं, मुझे तो चचा ग़ालिब याद आ गए-


पूछते हैं वो कि 'ग़ालिब' कौन है. 
कोई बतलाओ कि हम बतलाएं क्या.
मुगली घुट्टी भी मुगलों ने बनाई थी! मुगली घुट्टी भी मुगलों ने बनाई थी! Reviewed by Manu Panwar on November 04, 2017 Rating: 5

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