ऐसी धुंध में तो खिलज़ी भी भाग खड़ा होता
मनु पंवार
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दिल्ली ग़ायब हो गई ! Pic Credits: @LetMeBreathe_In |
इन दिनों दिल्ली की दमघोंटू धुंध में बंदे को न जाने कैसे-कैसे ख्याल आ रहे हैं. मैं सोच रहा हूं अगर मुगलों या अंग्रेज़ों के टाइम पर दिल्ली में ऐसी धुंध लगी होती, तो क्या होता? वो इत्ते बरस राज भी न कर पाते. भाग खड़े होते जी. हिंदुस्तान कब का आज़ाद हो गया होता. आखिर सांसें किसे प्यारी नहीं हैं. आततायियों और अंग्रेज़ शासकों को दूसरे की ज़िंदगी प्यारी नहीं थी, मगर अपनी तो थी. जान तो बादशाह को भी प्यारी होती है. इस गैस चैंबर में रहकर कौन राज करना चाहता? वो भी इत्ते बरस!
ज़रा कल्पना कीजिए. ऐसी धुंध,ऐसा पॉल्यूशन दिल्ली में अगर अंग्रेजों या बादशाहों के दौर में एंट्री कर गया होता, तो दिल्ली का इतिहास ही अलग होता. न अलाउद्दीन खिलज़ी के चक्कर में आज 700 साल बाद इतना बवाल होता. न किसी को दिल्ली की सड़कों पर लगे मुस्लिम बादशाहों के नामों के साइन बोर्ड पुतवाने की नौबत आती. न मुगलों की निशानियां मिटाने के लिए हिंदू सेनाएं हुंकार भर रही होतीं. शाहजहां का नाम कहीं परतों के नीचे दबा होता. आगरे का ताज महल भी तब 'तेजो महालय' होता और वहां सुबह-शाम घंटियां बज रही होतीं. आरती हो रही होती. लेकिन हाय ! ऐसा हो न सका. सारा कसूर इस कमबख्त इस धुंध का है. तब न जाने कहां मर गई थी!
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Pic Credits @LetMeBreathe_In |
यह बहुत घनघोर समय है.हर तरफ धुंध ही धुंध. कुछ लोग कह रहे हैं कि कम्यूनल फिज़ाओं पर सेकुलर धुंध ने हमला बोल दिया है. ये अच्छे संकेत नहीं हैं. अभी 2019 बाकी है. ख़बरदार ! ऐसे में अगर सरकार से किसी ने पूछा कि काला धन कहां है. अरे भई, इतने घऩे कोहरे में आदमी को आदमी नज़र नहीं आ रहा है तो काला धन कैसे नज़र आएगा ?
ऐसी धुंध में तो खिलज़ी भी भाग खड़ा होता
Reviewed by Manu Panwar
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November 11, 2017
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