मनु पंवार
 |
इमरान खान का प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के दौरान का चित्र |
यह तस्वीर सारी दुनिया ने देखी जब इमरान ख़ान साहब की ज़ुबान उर्दू में शपथ ग्रहण करते वक़्त कई बार लड़खड़ाई। खां साहब ठहरे विलायत में पढ़े हुए आदमी। उर्दू भाषा में उनका हाथ ज़रा तंग है, जो उनके प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण करते वक़्त दिख ही गया. इस तस्वीर से ये तो पता लग गया कि सारी समस्या भाषा की ही है। इसलिए जब हमारे हिंदुस्तान में नेता लोग कहते हैं कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब दो, तो बंदा सोच में पड़ जाता है। पाकिस्तान को किस भाषा में जवाब दें?
 |
कार्टून साभार- Google |
हिन्दुस्तान में हर कोई इसी पर चर्चारत् है। आमजन से लेकर मीडिया तक। असल में पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देने में कई व्यावहारिक अड़चनें हैं। सबसे बड़ी अड़चन तो यही है कि पाकिस्तान में अभी यही तय नहीं है कि उसकी अपनी भाषा क्या हो? उर्दू, पंजाबी या अंग्रेज़ी?
गूगल से जो पता लगा, उसके मुताबिक पाकिस्तान की आबादी 19 करोड़ के आसपास है और उसमें से भी क़रीब आधी आबादी तो पंजाबीभाषी है। वहां लगभग 45 फीसदी लोग पंजाबी बोलते हैं। सत्ता के केंद्रों पर पंजाबीभाषियों का दबदबा रहा है। इस्तीफा दे चुके प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ से लेकर उनके बाद के केयर टेकर प्रधानमंत्री शाहिद अब्बासी तक। ताकतवर मुख्यमंत्री शाहबाज़ शरीफ़ से लेकर सेना प्रमुख क़मर जावेद बाजवा तक। सुना है कि वहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई के बड़े लोग भी पंजाबीभाषी ही हैं। अगर हम पाकिस्तान को पंजाबी में जवाब देंगे, तो उर्दू वाला नाराज़ हो जाएगा कि जनाब, हमारी भाषा में क्या कमी थी जो आपने हमको मुंह न लगाया?
 |
कार्टून साभार: www.peacekashmir.org/ |
असल में पाकिस्तान में उर्दू प्रमुख रूप से उन लोगों की भाषा है जो सन् 1947 में बंटवारे के बाद हिंदुस्तान से गए थे। उन्हें अब भी ‘मुहाजिर’ कहा जाता है। गूगल बता रहा है कि उनकी आबादी पाकिस्तान में क़रीब 8 फीसदी है। मुहाजिरों से वहां भेदभाव की ख़बरें अक्सर आती रहती हैं। मुहाजिरों की एक ताक़तवर पार्टी भी है, मुहाजिर क़ौमी मूवमेंट यानी एमक्य़ूएम। जिसके मुखिया अल्ताफ़ हुसैन हैं। जो अक्सर हिंदुस्तान के पक्ष में बोलते रहते हैं और पाकिस्तान को गरियाते रहते हैं। लेकिन मुहाजिरों की भाषा उर्दू में अगर पाकिस्तान को जवाब देने की सोचेंगे, तो बात वहां के असली हुक्मरानों के कानों तक कैसे पहुंच पाएगी? वे तो ज्यादातर पंजाबीभाषी हैं।
 |
साभार: बीबीसी हिंदी में कीर्तिश भट्ट का कार्टून |
तो फिर पाकिस्तान को जवाब देने की दूसरी भाषा कौन सी हो? पाकिस्तान में पश्तो भी बोली जाती है और सिंधी भी। वहां की करीब 16 फीसदी आबादी पश्तून है और करीब 14 फीसदी सिंधी। सिंध वाले तो खुद ही पाकिस्तानी सत्ता को अपनी भाषा में जवाब दे ही रहे हैं। रही पश्तो की बात, तो पश्तो में हम ऑल इंडिया रेडियो के ज़रिये पाकिस्तान को जवाब कई साल पहले से ही दे रहे हैं। आपको बता दें कि आकाशवाणी की विदेश प्रसारण सेवा जिन 15 विदेशी भाषाओं में प्रसारण करती है, उनमें से एक सेवा पश्तो की भी है। अब बलोचियों की भाषा में भी हमने हाल ही में पाकिस्तान को जवाब देना शुरू किया है, जब आकाशवाणी की विदेश प्रसारण सेवा से बलोच भाषा में प्रसारण शुरू किया गया। लेकिन बेचारे बलोचियों की आबादी पाकिस्तान में महज 3.57 प्रतिशत है। वो पहले से ही पाकिस्तान के ज़ुल्म के शिकार हैं। उनकी भाषा में तो खुद पाकिस्तान की सरकार भी नहीं सुनती, हमारी क्या सुनी जाएगी।
एक विकल्प यह है कि पाकिस्तान को अंग्रेज़ी भाषा में दिया जाए। अंग्रेज़ी पाकिस्तान में सरकारी कामकाज़ की भाषा भी है और अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति की भाषा तो है ही। लेकिन 'दुश्मन' को गरियाने, उसको 'करारा' जवाब देने का जो मज़ा पंजाबी या देसी हिन्दी में है, वो भला किसी और में कहां..? माफ़ कीजिएगा, मगर उर्दू में नफासत आड़े आ जाती है जी। उर्दू में तो लगता ही नहीं है कि आप किसी को गाली दे रहे हैं। बड़ी तहज़ीब की भाषा है जी ये उर्दू। गाली देंगे तो लगता है फूल झर रहे हों। ऐसी गाली को किसी को खाक लगेगी ! इसीलिए हमारे देश की सरकारें अक्सर उधेड़बुन में रहती हैं कि आखिर पाकिस्तान को जवाब दें, तो दें किस भाषा में? शायद सरकारों के रिस्पॉन्स में इसीलिए देर हो जाती है।
No comments