बड़े ज़ोर का इस्तीफा आ रहा है, कहां जाके करूं?

मनु पंवार
सतीश आचार्य का कार्टून उनके ट्विटर हैंडल से साभार

मुझे बहुत ज़ोर का इस्तीफा आ रहा है. थामे नहीं थम पा रहा. तमाम कोशिशें कर चुका. समझ में नहीं आ रहा है कहां पर जाकर करूं? सारे मित्र और शुभेच्छुक लगातार दबाव बना रहे हैं कि रोक के रक्खो. वो यह दिलासा भी दिला रहे हैं कि हालात जल्द सामान्य हो जाएंगे, तुम तब तक थामे रखो. लेकिन जाने कब नौ मन तेल होगा और कब राधा नाचेगी. मुझ पर जो बीत रही है, वो किसी को कैसे बताऊँ?

बस बात इतनी सी है कि मुझे तो बड़े ज़ोर का इस्तीफा आ रहा है. मुझे तो करना ही करना है. समस्या ये है कि कहां पर जाकर करूं? घर पर करने की कोशिश करता हूं तो घरवाले रोक देते हैं. करने नहीं देते. पार्टी दफ्तर में करना चाहता हूं तो पार्टीवाले रोक लेते हैं. कम्बख्त घेर कर खड़े हो जाते हैं. करने ही नहीं देते. तंग आ गया हूं. आखिर जाऊँ तो जाऊँ कहां? आखिर करूं तो करूं क्या? मुझे तो सीरियसली बड़े ज़ोर का इस्तीफा आ रहा है. एक बार करना ज़रूरी है. तभी हल्का-हल्का फील होगा. वरना भार उठाते-उठाते हल्का होने का अहसास ही जाता रहा. 

मुझे एक बार हल्का होने का फील अच्छे से लेना है. लेकिन कभी-कभी तो लगता है कि जो मेरे इर्द-गिर्द मेरे शुभेच्छुक हैं, वो कम्बख्त सारे मेरे दुश्मन हैं. ज़ोर का इस्तीफा मुझे आ रहा है और समस्या उनको हो रही है. कोई करने भी नहीं दे रहा. मेरी मुसीबत कोई समझ ही नहीं रहा कि बंदे के गले-गले आ गई है. मैं तो सोच रहा हूं कि एक दफा खुलकर कर लूं तो कई चीज़ों से और कई बंदों से एक ही झटके में फारिग हो जाऊंगा. 

(राजनीति) शास्त्रों में भी लिखा है कि अगर आपको बड़ा ज़ोर का इस्तीफा आए तो फौरन कर दो. उसके कई फायदे हैं. आपके भीतर का दबाव कहीं और जाकर रिलीज़ हो जाता है. आप अच्छा फील करने लगते हैं. एक अलग सी राहत महसूस होने लगती है. मैं भी वो वाली राहत महसूस करना चाहता हूं. इसीलिए तो बता रहा हूं कि मुझे बड़े ज़ोर का इस्तीफा आ रहा है. प्लीज, कोई करने दो न ! भगवान तुम्हारा भला करेगा.
बड़े ज़ोर का इस्तीफा आ रहा है, कहां जाके करूं? बड़े ज़ोर का इस्तीफा आ रहा है, कहां जाके करूं? Reviewed by Manu Panwar on May 28, 2019 Rating: 5

No comments