राशिद अली ने दिल जीत लिया
मनु पंवार
एसी लगाने के लिए राशिद अपने एक सहयोगी के साथ आया था. उसने उस सहयोगी से कुछ सामान मंगवाया. मुझसे एडवांस एक हज़ार रुपये लिए. जब काम पूरा हुआ तो मैंने उसका पूरा हिसाब किया. पूरे पैसे दे दिए. तब मैं भी भूल गया और वो भी कि उसे एडवांस हजार रुपये दिए हैं. काम पूरा करके वो रात करीब 10.40 बजे अपने घर के लिए निकल गया.
(डिस्क्लेमर : यह कोई व्यंग्य नहीं है. एक सच्चा किस्सा है. कभी-कभी जिंदगी में ऐसे लोगों से सामना होता है, जोकि आपके ज़ेहन में छाप छोड़ जाते हैं. ऐसे ही एक आदमी से कल मेरा पाला पड़ा. उसनी ऐसी छाप छोड़ी कि मुझे कुछ लिखने का मन किया. आप पढ़ सकते हैं.)
राशिद अली कोई बड़ा नाम नहीं है. एक मामूली इलेक्ट्रिशियन है. उसी से बातचीत में पता चला कि दिल्ली के भजनपुरा में रहता है. मेरा वास्ता राशिद से कल यानी 4 जून को (ईद से एक दिन पहले) पड़ा. वो मेरे घर पर वोल्टास का नया एसी इंस्टॉल करने आया था. घर की सिचुएशन के हिसाब से काम थोड़ा टेढ़ा था, करीब 4-5 घंटे लग गए, लेकिन वो रात को काम पूरा करके गया. उसे अपने घर से लगातार फोन आ रहे थे कि त्योहार के मौके पर तो जल्दी आ जाओ. लेकिन वो लगा रहा.
मैंने पूछा, रमज़ान चल रहे हैं, रोज़ा होगा? कहने लगा- नहीं भाई साहब, इतनी गर्मी में काम के सिलसिले में दिनभर दौड़ना-भागना पड़ता है, सुबह से लेकर रात तक, रोजी-रोटी की भागमभाग में मुमकिन नहीं हो पाता. लेकिन ईद तो जमकर मनाते हैं.
लेकिन बात सिर्फ इतनी ही नहीं है.उसका ज़िक्र करना इसलिए ज़रूरी समझ रहा हूं क्योंकि उसने अपनी ईमानदारी से ऐसी छाप छोड़ी कि मैं उसका कायल हो गया. वो दिल्ली-एनसीआर जैसी भीषण झूठ, फरेब और मक्कारी वाली दुनिया में.
एसी लगाने के लिए राशिद अपने एक सहयोगी के साथ आया था. उसने उस सहयोगी से कुछ सामान मंगवाया. मुझसे एडवांस एक हज़ार रुपये लिए. जब काम पूरा हुआ तो मैंने उसका पूरा हिसाब किया. पूरे पैसे दे दिए. तब मैं भी भूल गया और वो भी कि उसे एडवांस हजार रुपये दिए हैं. काम पूरा करके वो रात करीब 10.40 बजे अपने घर के लिए निकल गया.
करीब 15-20 मिनट हुए होंगे, अचानक उसका कॉल आया. मुझे लगा कि ज़रूर उसका कुछ सामान मेरे घर पर छूट गया होगा, इसलिए फोन कर रहा है. लेकिन उसने फोन पर जो कहा उससे मैं चौंक गया. बोला- भाई, मैं राशिद बोल रहा हूं. मैंने आपसे ज़्यादा पैसे ले लिए. मुझे वो लौटाने हैं. या तो आप अपना पेटीएम नंबर दे दीजिए या फिर ईद के बाद कभी भी आपसे मिलकर लौटा दूंगा.
मैंने थोड़ी देर नि:शब्द था. मैंने कहा- अरे, मैं भूल गया था कि आपको एडवांस दिया है. वो कहने लगा- मैं भी भूल गया था. लेकिन भाई साहब आपसे सिर्फ अपनी मेहनत का ही पैसा लूंगा. हराम का नहीं. इसलिए मुझे आपके पैसे लौटाने हैं. एक बारगी अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ.
बहरहाल, मैंने उसे अपना पेटीएम नंबर दिया. 2 मिनट बाद उसने वो एक हजार रुपये मुझे लौटा दिए. मेरे ज़ेहन में उसकी बात देर तक गूंजती रही- सिर्फ अपनी मेहनत का ही पैसा लूंगा, हराम का नहीं.
राशिद अली ने रात करीब 11 बजे मुझे पैसा लौटाया. ये उस पेमेंट की पेटीएम की रसीद है |
बात सिर्फ 1 हज़ार रुपये की नहीं है. न, न, कतई नहीं है. ऐसे हज़ार रुपये न जाने कितनी बार बंदे हमारे मार चुके हैं. बात इससे ज्यादा मूल्यवान है. ज़्यादा गहरी है. ज्यादा सुकून देने वाली है.
दिल्ली-एनसीआर में रहते हुए मुझे 16 साल से ज़्यादा हो गए हैं. ज़्यादातर बार ऐसे लोगों से ही पाला पड़ा, जो सिर्फ इस जुगत में रहते हैं कि सामने वाले बंदे को कैसे लूटा जाए. ऐसे लोगों से कई बार लुटा भी हूं, कई बार ठगा गया हूं. इसलिए दिल्ली में रहकर मेरा विश्वास बहुत बार दरका है. बल्कि यों कहें कि किसी पर अब कोई भरोसा नहीं होता. मेरे जैसे कई लोगों का इस तरह का अनुभव होगा.
लेकिन राशिद अली अलग निकला. उम्मीदों से एकदम उलट. वो इतने बरसों में पहला ऐसा बंदा निकला, जिसने मेरे पैसे लौटाए. बल्कि खुद मुझे याद दिलाया कि वो मुझसे गलती से एक्स्ट्रा पैसे ले गया है. सोचिए, ये बात उसने मुझे तब बताई जबकि न वो मुझे जानता था, न मैं उसे. हम दोनों अजनबी थे. पहली बार मिले थे, वो भी महज कुछ घंटे के लिए. वो काम करके मेरे घर से जा भी चुका था. मुझे अगर याद भी आता कि उसके पास मेरे ज़्यादा पैसे गए हैं, तो मैं चाहकर भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाता.
लेकिन राशिद ने मुझे चौंका दिया. सचमुच चौंका दिया. मैं अब तक हैरान हूं. हैरान नहीं होता तो ये किस्सा यूं नहीं लिख रहा होता.
लेकिन राशिद ने मुझे चौंका दिया. सचमुच चौंका दिया. मैं अब तक हैरान हूं. हैरान नहीं होता तो ये किस्सा यूं नहीं लिख रहा होता.
शुक्रिया राशिद. तुम जैसे लोग भले लोग भले ही संख्या में कम हों, लेकिन ईमानदारी और भरोसा जैसे शब्दों ने अब भी अपने मायने नहीं खोए हैं.
राशिद अली ने दिल जीत लिया
Reviewed by Manu Panwar
on
June 05, 2019
Rating:
No comments