ऑड-ईवन से प्रदूषण हारेगा कि खर-दूषण?

मनु पंवार
  

दिल्ली में 4 से 15 नवंबर तक फिर से ऑड ईवन लागू हो रहा है
हो न हो इस प्रदूषण का उन खर-दूषण से जरूर कोई न कोई वास्ता होगा। ये तीनों राक्षसी प्रवत्ति के हैं। तीनों ज़हरीले हैं। दमघोंटू हैं। अब कौन नहीं जानता कि खर-दूषण लंकापति रावण के सौतेले भाई थे। दोनों साथ ही चलते थे। उस जमाने में ऑड-ईवन तो था नहीं कि एक दिन खर चलता और अगले दिन दूषण। वो एक-दूजे के लिए सम (ईवन) थे, लेकिन बाकियों के लिए विषम अर्थात् ऑड।

इसीलिए जब सूर्पणखा की नाक कट गई तो उन्होंने सीधे राम-लक्ष्मण से पंगा ले लिया। ये भी नहीं पूछा कि गलती किसकी थी। ऐसा अक्सर हम दिल्ली की सड़कों पर देखते हैं। किसी की गाड़ी अगर दूसरे से हल्के से टच भी हो गई तो पिटने-पीटने की नौबत आ जाती है। सामने वाले पर अच्छी तरह से हाथ साफ कर लेने के बाद पता चलता है कि जिस बंदे को पीटा गयागलती उसकी नहींअपनी ही थी।


रामलीला में खर-दूषण की एंट्री भी तो तब होती है जब नाक कट जाती है। उन्होंने सूर्पणखा की नाक को अपनी नाक का सवाल बना लिया।  कभी-कभी सोचता हूं कि सूर्पणखा की नाक बीच में नहीं आती तो रामायण कैसे आगे बढ़ती? खर-दूषण ने तो अपनी बहन की नाक के चक्कर में पंगा ले लिया,लेकिन प्रदूषण को नाक की परवाह नहीं। 

लोग प्रदूषण से नाक-भौं जरूर सिकोड़ते हैंलेकिन नाक का सवाल नहीं बनाते। वरना खर-दूषण की तरह अब तक प्रदूषण भी कभी का निपट गया होता। फिर प्रदूषण से निपटने के नाम पर केजरीवाल ऑड-ईवन का झंडा उठाए न घूमते। हालांकि ऐसा लग रहा है कि प्रदूषण खत्म करने के चक्कर में केजरीवाल ने कई खर-दूषण पैदा कर दिए हैं।
ऑड-ईवन से प्रदूषण हारेगा कि खर-दूषण? ऑड-ईवन से प्रदूषण हारेगा कि खर-दूषण? Reviewed by Manu Panwar on September 13, 2019 Rating: 5

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