दूसरे का नमक खाकर गोली खाने वाला कालिया
मनु पंवार
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फिल्म 'शोले' के चर्चित किरदार कालिया बने विजू खोटे का मुंबई ेमें निधन हो गया |
एक दिन सबको जाना है। कालिया भी चला गया। वैसे बड़ा स्वामिभक्त था जी वो
कालिया। 'शोले' फ़िल्म तो
देखी ही होगी? याद है वो सीन? कालिया
की कनपटी पे पिस्तौल धर के दस्यु सरगना गब्बर सिंह क्या बोला था? "तेरा क्या होगा कालिया?" सोचिए, कालिया अगर इत्ता सा
भी चंट होता तो सीना ठोक के कहता- 'मेरा क्या है बॉस !
इस बीहड़ से निकल के पॉलिटिक्स जॉइन कर लूंगा। तुम्हारी इस नीली बहुजनी वर्दी को उतार के झक सफेद कुर्ता ओढ़ लूंगा। नेता बन जाऊंगा। पार्टियां हाथों-हाथ लेंगी। चुनाव लड़ लूंगा।
विधानसभा या संसद पहुंच जाऊंगा। दुकान चल पड़ेगी। तुम अपनी सोचो।' लेकिन उस ज़माने में शायद 56 इंची
सीना चलन में नहीं आया था। कालिया ठोकता भी क्या।
आपको मालूम ही है, उस डरे, सहमे, भयभीत कालिया ने कंपकंपाती आवाज़ में क्या जवाब दिया ! बोला- “सरदार मैंने आपका नमक खाया है...।”
यह एक वफादार की सार्वजनिक स्वीकारोक्ति थी। ऐसा वफादार ढूंढे नहीं
मिलता आजकल। वरना तो नमक खाके नमक हरामी करने वालों के किस्से अनगिनत हैं। लेकिन गब्बर सिंह क्रूर था। जैसे प्राय: बॉस प्रजाति के लोग होते ही हैं। “सरदार मैंने आपका नमक खाया है” के प्रत्युत्तर में गब्बर तपाक से बोला- “अब गोली खा।”
तो सज्जनों उक्त प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती है कि दूसरे का नमक खाने वाले को अपने मालिक की गोली खाने के लिए भी हरदम तैयार रहना चाहिए। राजनीति हो, कॉरपोरेट हो या पत्रकारिता हो, ये हर जगह के लिए सूत्रवाक्य है।
तो सज्जनों उक्त प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती है कि दूसरे का नमक खाने वाले को अपने मालिक की गोली खाने के लिए भी हरदम तैयार रहना चाहिए। राजनीति हो, कॉरपोरेट हो या पत्रकारिता हो, ये हर जगह के लिए सूत्रवाक्य है।
ये बात नमक बनाने वाले टाटा ग्रुप में साइरस मिस्त्री
के भेजे में सही वक्त घुस जाती तो आज वो कंपनी के कर्ता-धर्ता बने होते। नमक के चक्कर में ही रतन
टाटा ने कुछ साल पहले अपने ग्रुप से साइरस मिस्त्री की छुट्टी कर दी थी। मिस्त्री
ने भी टाटा का नमक खाया था। नये ज़माने की रघुकुल रीत यह कहती है कि जो बंदा किसी
का नमक खाता है, उसको बाद में फिर उसी की गोली भी
खानी पड़ती है। 'शोले' में कालिया और गब्बर सिंह के प्रकरण ने इसको पुष्ट भी किया है। नमक का कर्ज़ अदा करने का यह मॉडर्न स्टाइल भी है। अगर आप गोली खाने से बचना चाहते हैं तो दूसरों का नमक चखने के बजाय खुद का नमक खाओ।
इस तथ्य को भला कौन झुठलाएगा कि टाटा का नमक पूरे देश
ने खाया है (वैसे टाटा भी देश से अपना ये 'कर्ज' वसूलना नहीं भूलते)। साइरस मिस्त्री चूंकि टाटा की कंपनी के ही बॉस बनाए गए थे, लिहाज़ा इस बात की ज़्यादा संभावना है कि उन्होंने नमक कुछ ज़्यादा मात्रा
में खा लिया होगा। लेकिन ये बात मिस्त्री साहब के पल्ले नहीं पड़ी कि जब नमक खाया है तो गोली खाने में क्या है? यह तो दस्तूर भी है। बंदा टाटा के खिलाफ सीधे कोर्ट जा पहुंच गया। हिम्मत तो देखो !
जब गब्बर सिंह साहब ने आज से 44 साल पहले 'शोले' में अपना नमक खाने वाले वफादार कालिया को गोली मारने का हक पा लिया था,
तो फिर साइरस मिस्त्री किस खेत की मूली हैं जी? उनको भी टाटा साहब ने दस्यु शिरोमणि गब्बर सिंह के फंडे के तहत ही फायर कर
दिया। टाटा का नमक खाने वाले मिस्त्री को फख्र करना चाहिए कि उन्होंने देश की
खातिर कुर्बानी दी है। यह पंचलाइन तो सुनी ही होगी- टाटा नमक, देश का नमक।
दूसरे का नमक खाकर गोली खाने वाला कालिया
Reviewed by Manu Panwar
on
September 30, 2019
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