दिल और दल का क्या संबंध?

मनु पंवार

(वैसे तो लंबे वक़्त से व्यंग्य पर हाथ-साफ करने की कोशिश कर रहा हूं, मगर कविता करना कभी-कभार ही हो पाता है. कविता में कुछ छोटी-छोटी व्यंग्य रचनाएं अर्थात् क्षणिकायें लिखी हैं. 24 जुलाई 2016 को न्यूज़ चैनलों से जुडे साथियों की कविताओं का उत्सव हुआ था. यह नोएडा फिल्म सिटी के मारवाह स्टूडियोज़ की बात है. इस खाकसार ने वहीं ये कवितायें कहीं. उस शब्दोत्सव में पढ़ी गई अपनी कविताएं और उनका वीडियो लिंक भी आप पाठकजनों की नज़र है.)

1.
आशंका
गरीबों के उत्थान को उन्होंने
फिर से पीटा डंका है
चुनाव की आशंका है।


 2. 
संबंध
राजनीति में
दिल और दल का संबंध
उन्होंने कुछ समझाया यूं
दिल टूटता है
तो नया दल बनता है।

3.
 पाक-साफ
आरोपों से अपनी गर्दन
उन्होंने इस तरह छुड़ाई है
कहने लगे--
बेरोजगारी जनसंख्या ने...
गर्मी ग्लोबल वॉर्मिंग ने..
और महंगाई
केंद्र ने बढ़ाई है।

4. 
प्रगति पथ
टूटी-फूटी, धूल-धूसरित सड़कें
बीच सड़क मुंह उठाए पत्थर
सड़क के किनारे बोर्ड लगा था-
लोक निर्माण विभाग
प्रगति के पथ पर

(वीडियो लिंक: 'शब्दोत्सव' में इन कविताओं के पाठ का वीडियो लिंक ये रहा.)

दिल और दल का क्या संबंध? दिल और दल का क्या संबंध? Reviewed by Manu Panwar on July 31, 2016 Rating: 5

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