दिल्ली के खिलाफ मौसम की साजिश है
मनु पंवार
इधर, गर्मियों में दिल्ली तप रही होती है, तो खाते-पीते लोग अक्सर शिमला की सैर पर निकल पड़ते हैं। कहते हैं कि वहां मौसम सुहाना है। गर्मियों में अक्सर पानी हरियाणा काट लेता और त्राहिमाम दिल्ली में मच जाता है। दिल्ली सरकार के ख़िलाफ़ आए दिन सड़कों पर धरना-प्रदर्शन होने लगते हैं। गर्मी तो गर्मी, दिल्ली को बरसात में भी चैन नहीं है। पंजाब, हरियाणा अपने बैराज खोल देते हैं और दिल्ली बाढ़ में घिर आती है। खेतों में फसलों के बचे-खुचे अवशेष पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसान जला डालते हैं और धुंध और धुएं का गुबार दिल्ली के आसमान पर छा जाता है।
इससे एक बात को साबित होती है कि दिल्ली का मौसम हो या सियासत हमेशा बाहरी वजहों से प्रभावित होती है। विवादित ढांचा अयोध्या में ढहाया जाता है और सरकार दिल्ली में हिल जाती है। हमला मुंबई पर होता है और लोग दिल्ली में बैठी सरकार को कोसने लगते हैं। चुनाव नतीजे दूसरे राज्यों के विधानसभाओं के आते हैं और दिल्ली में बैठी सरकार के विदाई गीत बजने लगते हैं।
वैसे इसके बीज इतिहास की घटनाओं में भी देखे जा सकते हैं। मुगलों से लेकर अंग्रेज़ों तक ने बाहर से आकर ही दिल्ली पर राज किया। तब से लेकर अब तक दिल्ली पर बाहरी चीज़ें ही असर डाल रही हैं। अर्थव्यवस्था इजिप्ट और यूरोप की बीमार पड़ती है और सवाल दिल्ली में बैठी सरकार की नीतियों पर उठने लगते हैं। ऐसे में वो दिन दूर नहीं जब घरेलू झगड़े में भी लोग दिल्ली की सरकार को घसीट लेंगे।
शिमला में जब बर्फ गिरती है तो दिल्ली शीतलहर की चपेट में घिर आती
है। मौसम विभाग वाले भी बिना देर किए ये बतलाना नहीं भूलते कि पहाड़ों की बर्फबारी
के असर से दिल्ली में पारा लुढ़क गया है। यह सब मौसम की चाल है जी। वह दिल्ली के नहीं,
पहाड़ों के साथ है। अगर शिमला का मौसम दिल्ली को कंपकपा देता है तो गर्मियों में जब
दिल्ली लू के थपेड़ों में झुलस रही होती है तब क्यों नहीं शिमला में भी लू चलती है
जी? अगर शिमला सर्दियों में दिल्ली पर असर डालता है तो
बदले में गर्मियों में दिल्ली शिमला पर असर क्यों नहीं डालती? दिल्ली के साथ यह तो मौसमी भेदभाव है।
इधर, गर्मियों में दिल्ली तप रही होती है, तो खाते-पीते लोग अक्सर शिमला की सैर पर निकल पड़ते हैं। कहते हैं कि वहां मौसम सुहाना है। गर्मियों में अक्सर पानी हरियाणा काट लेता और त्राहिमाम दिल्ली में मच जाता है। दिल्ली सरकार के ख़िलाफ़ आए दिन सड़कों पर धरना-प्रदर्शन होने लगते हैं। गर्मी तो गर्मी, दिल्ली को बरसात में भी चैन नहीं है। पंजाब, हरियाणा अपने बैराज खोल देते हैं और दिल्ली बाढ़ में घिर आती है। खेतों में फसलों के बचे-खुचे अवशेष पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसान जला डालते हैं और धुंध और धुएं का गुबार दिल्ली के आसमान पर छा जाता है।
इससे एक बात को साबित होती है कि दिल्ली का मौसम हो या सियासत हमेशा बाहरी वजहों से प्रभावित होती है। विवादित ढांचा अयोध्या में ढहाया जाता है और सरकार दिल्ली में हिल जाती है। हमला मुंबई पर होता है और लोग दिल्ली में बैठी सरकार को कोसने लगते हैं। चुनाव नतीजे दूसरे राज्यों के विधानसभाओं के आते हैं और दिल्ली में बैठी सरकार के विदाई गीत बजने लगते हैं।
वैसे इसके बीज इतिहास की घटनाओं में भी देखे जा सकते हैं। मुगलों से लेकर अंग्रेज़ों तक ने बाहर से आकर ही दिल्ली पर राज किया। तब से लेकर अब तक दिल्ली पर बाहरी चीज़ें ही असर डाल रही हैं। अर्थव्यवस्था इजिप्ट और यूरोप की बीमार पड़ती है और सवाल दिल्ली में बैठी सरकार की नीतियों पर उठने लगते हैं। ऐसे में वो दिन दूर नहीं जब घरेलू झगड़े में भी लोग दिल्ली की सरकार को घसीट लेंगे।
दिल्ली के खिलाफ मौसम की साजिश है
Reviewed by Manu Panwar
on
July 18, 2016
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