शर्म की नाक कहां होती है
मनु पंवार
रामलीला में लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक
काट डाली। इससे कम से कम यह तो साबित हो गया कि इस देश में नाक काटने और कटवाने की
परंपरा हज़ारों साल पुरानी है। हालांकि नाक कटने के साइड इफेक्ट बहुत हैं।
शूर्पणखा की नाक कटने से पूरी रामलीला में ट्विस्ट आ गया। लंकापति रावण ने अपनी बहन
की नाक कटने की घटना को नाक का सवाल बना लिया और सीधे राम से पंगा ले लिया। इसके
बाद की कहानी आप लोग जानते ही हैं। सोने की लंका खाक हो गई, लेकिन रावण ने नाक
नीची नहीं होने दी। इससे एक बात और सिद्ध होती है कि उस वक्त भी ऊंची नाक वाले लोग
हुआ करते थे।
लेकिन किसी छोटी-मोटी घटना पर जो बंदे देश-विदेश में नाक
कटने की चिंता में डूबे रहते हैं और शर्मनाक-शर्मनाक का कोरस गाने लगते हैं, उन्हें
सोचना चाहिए कि सिर्फ शर्मनाक कहने से काम नहीं चलेगा। शर्म तो वहां होगी जहां नाक
होगी। बेशर्म लोग नाक लेकर नहीं चलते। इसीलिए वो किसी मसले को नाक का सवाल नहीं
बनाते, सीधे बेशर्मी पर उतर आते हैं।
हालांकि कई बार क्रिकेट में नाक कटने पर हम लोग न जाने
क्यों आसमान सिर पर उठा लेते हैं। अरे भई, जगह-जगह अपनी नाक घुसेड़ते फिरेंगे तो
तकलीफ तो होगी ही। सांस लेने और सूंघने के अलावा आप नाक से कुछ और काम भी लेंगे तो
नाक कटने का ख़तरा तो बना ही रहेगा। आखिर नाक इतनी संवेदनशील चीज़ जो होती है। इससे
भली तो राजनीति है जो नाक कटने की आशंका को बहुत पहले ही भांप लेती है। राजनीति
में नाक कट भी जाए तो चिंता नहीं होती। नेता जानते हैं कि राजनीति में नकटे लोग भी
शासन कर सकते हैं।
(Link: यह व्यंग्य हिंदुस्तान अख़बार के संपादकीय पेज पर छप चुका है)
(Link: यह व्यंग्य हिंदुस्तान अख़बार के संपादकीय पेज पर छप चुका है)
शर्म की नाक कहां होती है
Reviewed by Manu Panwar
on
October 10, 2016
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