रावण लंका डुबोने के लिए खुद जिम्मेदार है
मनु पंवार

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कार्टून साभार: मुकेश नौटियाल |
रावण ने एक तो भाई होने का फर्ज़ नहीं निभाया, ऊपर से चल पड़ा
राम- लक्ष्मण से बदला लेने। छल-कपट से सीता जी को हर लिया। चूंकि रावण शासक था, लिहाज़ा उसके समर्थकों ने उसे दोष नहीं दिया और विभीषण को बलि का बकरा बना लिया। रावणवादी इतिहासकारों ने भी बेचारे
विभीषण को बदनाम कर दिया। विभीषण आज तक उस दाग़ से नहीं उबर पाया है। यह बात जुदा
है कि कलियुग में विभीषणों की राजनीतिक परंपरा काफी फल-फूल रही है। हर पार्टी में विभीषण हैं।
लेकिन सवाल यह है कि लंका को ढहाने का दोष सिर्फ विभीषण पर ही
क्यों है? उस समय के विपक्ष को भी क्रेडिट मिलना चाहिए। सरकारों को अस्थिर
करने में विपक्ष का भी कम रोल नहीं होता। उन
दिनों विपक्ष में रामचंद्र जी, सुग्रीव और उनकी वानर सेना थी। लंका ढहाने का
क्रेडिट हनुमान को क्यों न मिले, जिनके बारे में अब लोग सोशल मीडिया पर कह रहे हैं
कि दुनिया का पहला सर्जिकल स्ट्राइक उन्होंने ही किया था। हनुमान ने अपनी जलती हुई
पूंछ से पूरी सोने की लंका में आगजनी कर डाली थी। बलवा मचाने की धाराओं में लंका की पुलिस
ने हनुमान को धर भी लिया था। अबका ज़माना होता तो हनुमान को आतंकवाद की धाराओं में
सज़ा मिलती। या हो सकता था कि रावण हनुमान का सिर धड़ से अलग करवा देता। लेकिन
रावण बुद्दिजीवी टाइप राजा था। उसकी फिलॉसिफी पर अच्छी पकड़ थी। लोकश्रुतियों के
अनुसार वेद-पुराण उसे कंठस्थ थे। चूंकि वह लिटरेरी टाइप बंदा था, इसलिए हो सकता है
कि उसने ऐसा जघन्य कृत्य करने से परहेज़ किया हो। ज्यादा पढ़े-लिखे और विद्वान लोग
अक्सर ऐसी मार मारते हैं कि काम भी हो जाए और पता भी न चले। उनके इस हुनर पर एक शेर भी याद आ रहा
है-
‘दामन पे कोई छींट न
खंज़र पे कोई दाग़
तुम क़त्ल करे हो कि क़रामात कर हो।’

रावण लंका डुबोने के लिए खुद जिम्मेदार है
Reviewed by Manu Panwar
on
October 08, 2016
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बहुत ही अच्छा और बहुत ही उम्दा है... सच में, काबिल-ए-तारिफ व्यंग्य है आपका।
ReplyDeleteबहुत-बहुत शुक्रिया अखिल जी..
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