गनीमत है कि गांव है
(जब दिल्ली की तपिश दम निकाल रही हो, तब अपना गांव ज़्यादा याद आता है. कई बार तस्वीरों से ही काम चलाना पड़ता है. लेकिन इन्हें शायद ज़्यादा शब्दों की ज़रूरत नहीं है. )
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आगे पहाड़ पीछे पहाड़: उत्तराखंड में गढवाल जिले के मुख्यालय पौड़ी से 7 किमी की दूरी पर है मेरा गांव |
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ठीक सामने वो रहा हमारा गांव: गांव की सामने वाली पहाड़ी, नागराजा धार, से कुछ ऐसा दिखता है मेरा गांव |
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घने जंगल के बीच यह गांव का शिवालय है। सबसे कूल जगह |
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पहाड़ पर चढ़ना ही नहीं, उतरना भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं है। मेरा बेटा छलांगे मारकर उतरने की कोशिश कर रहा है |
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गांव की सामने वाली पहाड़ी के दूसरी तरफ घाटी में बसा है श्रीनगर शहर । यह शहर 1839 तक पुराने गढवाल राज्य की राजधानी था। इस तस्वीर में श्रीनगर में अलकनंदा नदी भी दिख रही है। |
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मेरे गांव का चीड का जंगल |
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गांव के शिव मंदिर तक जाने वाला यह रास्ता भी कम रोमांचक नहीं है |
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मेरे गांव की एक पहाड़ी से दिख रहा वह श्रीनगर शहर है |
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नीला आसमान, बादल, पहाड़ सब कुछ एक फ्रेम में |
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और हां, कुदरत के इन नज़ारों के बीच बचपन |
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पौड़ी से मेरे गांव जाने वाली सड़क और पीछे विशाल हिमालय |
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गांव में ये मेरा घर है |
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घर का आंगन और मां का एक कोना |
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तू जहां-जहां चलेगा: पौड़ी और कोटद्वार के बीच ये जगह लैंसडॉन के पास है |
गनीमत है कि गांव है
Reviewed by Manu Panwar
on
November 02, 2016
Rating:

सुंदर तस्वीरें हैं. गांव का तो मजा ही कुछ और है और जब गांव पहाड़ों पर हो तो क्या कहने..
ReplyDeleteJi...
ReplyDeletepahad ke gaon kuchh alag feel dete hain
Ji...
ReplyDeletepahad ke gaon kuchh alag feel dete hain