नेता की फटी जेब अच्छी बात नहीं है
मनु पंवार
अच्छा हुआ राहुल गांधी ने चुनाव से पहले ही भरी सभा में अपने कुर्ते की फटी
जेब दिखा दी. अब कोई उन पर यह इल्जाम नहीं लगा सकता कि कांग्रेस पार्टी तो राहुल
गांधी की जेब में है. यह फटे कुर्ते का ही कमाल है कि कांग्रेस को यूपी में अखिलेश
यादव ने मुंहमांगे टिकट नहीं दिए. खुदा ना खास्ता अगर सीट बंटवारे में कांग्रेस के
हिस्से ज्यादा सीटें आ जातीं, तो राहुल गांधी इतने सारे उम्मीदवारों को संभालते भी
कहां. उनकी जेब तो फटी हुई निकली. कांग्रेस को तो अखिलेश यादव का शुक्रगुज़ार होना
चाहिए कि उन्होंने उनके नेता राहुल गांधी की फटी जेब का पूरा-पूरा ख़्याल रखा.
वरना तो इस ज़माने में बेटा अपने बाप की भी परवाह नहीं कर रहा.
हां, यह सवाल उठ सकता है कि राजनीति में भला फटी जेब वालों का क्या काम? इस फील्ड में तो दूसरों का
कुर्ता फाड़ने, अपनी जेबें भरने और दूसरों की जेबों पर हाथ साफ करने की एक
भरी-पूरी परंपरा रही है. नेता की जेब फटी होने के साइड इफेक्ट भी बहुत हैं जी. कोई
भी ऐसा-गैरा उनके फटे में अपनी टांग घुसेड़ सकता है. यूपी से लेकर उत्तराखंड में हाल
की राजनीतिक घटनाओं से ऐसा साबित भी हुआ है. आप दूसरे को कुछ कह भी नहीं पाएंगे. भई,
जो बंदा अपनी फटी जेब तक नहीं सिलवा सकता है, वो भला दूसरों के मुंह कैसे सी सकता
है जी?
पिछले दिनों उत्तराखंड में कांग्रेस के नेताओं
के धड़ाधड़ बीजेपी की झोली में गिरने से खुद कांग्रेसी भी हैरान थे. उन्हें समझ ही
नहीं आ रहा था कि आखिर इतनी बड़ी तादाद में कांग्रेस से नेता उनके हाथ से क्यों
फिसल रहे हैं. जैसे ही राहुल गांधी ने ऋषिकेश में भरी सभा में अपनी फटी हुई जेब जमाने
को दिखाई, तब जाकर पता चला कि आखिर कांग्रेस के नेता गिर कहां से रहे हैं. नेता की
जेब फटी होना अच्छे लक्षण नहीं हैं.
नेता की फटी जेब अच्छी बात नहीं है
Reviewed by Manu Panwar
on
January 29, 2017
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