भारत-पाकिस्तान क्रिकेट और मंगलवार का व्रत!
मनु पंवार
हम ऐसे समाज हैं जो बहुत सारे विरोधाभासो में जीता है। इन विरोधाभासो की छाप हमारे और हमारी सरकारों फ़ैसलों में भी अक्सर दिख जाती है। अब भारत-पाकिस्तान क्रिकेट का मुद्दा ही ले लीजिए। इग्लैंड के बर्मिंघम में कल भारतीय क्रिकेट टीम चैंपियंस ट्रॉफी के मुक़ाबले में पाकिस्तान से भिड़ने जा रही है। याद रखिए, पाकिस्तान के साथ है क्रिकेट मैच। जिसे हम दुश्मन देश कहते हैं। जिसके ख़िलाफ़ किसी भी तरह के रिश्ते हमें गवारा नहीं हैं। लेकिन उसी पाकिस्तान से हम कल क्रिकेट मैच में उतर रहे हैं।
इससे एक बात तो साफ़ है और वो यह कि हम इग्लैंड क्या, पूरी दुनिया में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कहीं भी क्रिकेट खेल सकते हैं, लेकिन भारत में नहीं खेल सकते। यह तो वही बात हो गई कि कोई भीषण टाइप का नॉन-वेजेटेरियन बंदा बोले कि मैं तो चिकन और मटन रोज़ाना जमकर दाब लेता हूं, बस ज़रा मंगलवार को परहेज़ करता हूं। क्यों भई..? मंगलवार ही क्यों? हनुमानजी नाराज़ हो जाएंगे, क्या इसलिए? रवि, सोम,गुरु, बुध, शुक्र,शनि इत्यादि की नाराज़गी आपके लिए कोई मायने नहीं रखती?
ये हमारे विरोधाभासों की एक मिसाल भर है। हमें हिंदी फ़िल्मों में पाकिस्तानी कलाकार बर्दाश्त नहीं, लेकिन टीवी पर पाकिस्तान के मेहमानों को बुलाने पर किसी को कोई ऐतराज़ नहीं। हम पाकिस्तान के साथ सब कुछ बंद करने पर आमादा हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच श्रीनगर से मुजफ़्फ़राबाद के बीच 'कारवां-ए-अमन' बस और अमृतसर-ननकाना साहिब के बीच 'दोस्ती' बस बदस्तूर चल रही हैं। कारोबार भी बेरोकटोक चल रहा है जी। चक दा बाघ नाम की जगह से एलओसी पार करके हमारे ट्रक सामान लेकर पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर में जा रहे हैं और उधर से भी ट्रक सामान लेकर हमारे यहां पहुंच रहे हैं। यानी धंधे में कोई लोचा नहीं है।
लेकिन सबसे कमाल का विरोधाभास है क्रिकेट में। मतलब बात कुछ ऐसी है कि भारत-पाकिस्तान के बीच खेल हो सकता है, मेल नहीं हो सकता।
इससे एक बात तो साफ़ है और वो यह कि हम इग्लैंड क्या, पूरी दुनिया में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कहीं भी क्रिकेट खेल सकते हैं, लेकिन भारत में नहीं खेल सकते। यह तो वही बात हो गई कि कोई भीषण टाइप का नॉन-वेजेटेरियन बंदा बोले कि मैं तो चिकन और मटन रोज़ाना जमकर दाब लेता हूं, बस ज़रा मंगलवार को परहेज़ करता हूं। क्यों भई..? मंगलवार ही क्यों? हनुमानजी नाराज़ हो जाएंगे, क्या इसलिए? रवि, सोम,गुरु, बुध, शुक्र,शनि इत्यादि की नाराज़गी आपके लिए कोई मायने नहीं रखती?
ये हमारे विरोधाभासों की एक मिसाल भर है। हमें हिंदी फ़िल्मों में पाकिस्तानी कलाकार बर्दाश्त नहीं, लेकिन टीवी पर पाकिस्तान के मेहमानों को बुलाने पर किसी को कोई ऐतराज़ नहीं। हम पाकिस्तान के साथ सब कुछ बंद करने पर आमादा हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच श्रीनगर से मुजफ़्फ़राबाद के बीच 'कारवां-ए-अमन' बस और अमृतसर-ननकाना साहिब के बीच 'दोस्ती' बस बदस्तूर चल रही हैं। कारोबार भी बेरोकटोक चल रहा है जी। चक दा बाघ नाम की जगह से एलओसी पार करके हमारे ट्रक सामान लेकर पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर में जा रहे हैं और उधर से भी ट्रक सामान लेकर हमारे यहां पहुंच रहे हैं। यानी धंधे में कोई लोचा नहीं है।
लेकिन सबसे कमाल का विरोधाभास है क्रिकेट में। मतलब बात कुछ ऐसी है कि भारत-पाकिस्तान के बीच खेल हो सकता है, मेल नहीं हो सकता।
भारत-पाकिस्तान क्रिकेट और मंगलवार का व्रत!
Reviewed by Manu Panwar
on
June 03, 2017
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