ये मैच नहीं, मिसमैच था

मनु पंवार


ना जी ना...। ये बात कुछ जमी नहीं। बर्मिंघम तो मुकाबले जैसा कुछ हुआ ही नहीं। खालिस एकतरफा मामला निकला। चैम्पियन्स ट्रॉफी में भारतीय क्रिकेट टीम पाकिस्तान से ऐसे जीती, जैसे किसी राजनीतिक पार्टी ने ईवीएम से सारे वोट लूट लिए हों। यह मैच नहीं, मिसमैच था। मुझे तो मैच के रिजल्ट के बाद ऐसा लग रहा था कि अतिउत्साह में कहीं भाजपावाले टीवी कैमरों के सामने न आ जाएं और कहने लगें कि इंग्लैंड में भी मोदीजी की लहर चल रही है। गनीमत है कि वो नहीं आए।

लेकिन भारत-पाकिस्तान के मैच के नतीजे के बाद एक खतरा बढ़ गया है। पाकिस्तान के लड़कों के पिट जाने के बाद अब यह आशंका है कि कहीं हाफिज़ सईद अपने 'लड़के' न भेज दे। वैसे बर्मिंघम के इस मैच में मुझे कई चीजों ने चौंकाया। अब आप इसे संयोग कहें या नहीं, भारत-पाकिस्तान के इस मैच में अंपायरिंग ऐसा बंदा कर रहा था जिसके नाम में 'धर्म' भी है और 'सेना' भी। वैसे भी 'धर्म' और 'सेना' दोनों मुल्कों के लिए आजकल बड़े सेंसटिव इश्यू बन चुके हैं।
भारत से हारने के बाद पाकिस्तानी चैनलों में हाहाकारी बहसें चलीं.
एक और मज़ेदार बात देखने को मिली। भारत के दामाद शोएब मलिक को हमारे बैट्समैन बड़ा संभल-संभलकर खेल रहे थे। बताओ..., हम भारतीयों को दामादों के साथ कित्ती सावधानी बरतनी पडती है। वह तो युवराज ही थे जो खुलकर खेले और इस मैच के 'मैन ऑफ द मैच' बने। कांग्रेस के बंदे तो इसी बात पर खुश होंगे कि चलो कोई 'युवराज' तो चमका। लेकिन मैच देखते हुए एक बार ने बड़ा परेशान किया। पाकिस्तान वालों ने भी कैच छोड़े और भारत वालों ने भी। इससे ये साबित हो गया कि हम दोनों मुल्क राजनीति और क्रिकेट, दोनों जगह 'छोड़ने' में बड़े माहिर हो गए हैं।

वैसे इस राष्ट्रवादी माहौल में चाईनीज कंपनी 'ओप्पो' का भारतीय क्रिकेट टीम को स्पॉन्सर करना कुछ खटक रहा था। यह कंपनी पिछले दिनों तिरंगे के कथित अपमान को लेकर विवादों में घिर गई थी। हैरानी हुई कि भक्तजनों की नज़र इस पर नहीं पड़ी। वैसे मुझे लग रहा है कि चाइनीज कंपनी 'ओप्पो' ने टीम इंडिया को शायद इसलिए स्पॉन्सरशिप दी, ताकि दुनिया को अपने माल के पक्का होने का भरोसा दिला सके। यू नो, चाइनीज माल...!!!

ये मैच नहीं, मिसमैच था ये मैच नहीं, मिसमैच था Reviewed by Manu Panwar on June 05, 2017 Rating: 5

No comments