घर का जोगी जोगड़ा...
मनु पंवार
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| यूूपी की विधानसभा में सीएम योगी |
सड़कों पर क्या, कहीं भी गड्ढे अच्छी बात नहीं है. सरकारों में तो गड्ढे होने ही नहीं चाहिए. इसीलिए पिछले साल योगीजी ने सीएम बनते ही खुल्ला ऐलान कर दिया था कि 15 जून तक यूपी की सारी सड़कें गड्ढा मुक्त हो जाएंगी. योगीजी अगर अपने वादे के मुताबिक यूपी के गड्डे भर लेते, तो आज गोरखपुर के चुनावी गड्ढे में ना गिरते.
गड्ढा है ही ऐसी चीज़. किसी को भी गिरा देता है. गड्ढों के चक्कर में एक दफा मध्य प्रदेश वाले दिग्विजय सिंह की सरकार चली गई. तब के प्रधानमंत्री वाजपेयी साहब के एक डायलॉग ने दिग्गी राजा को चुनाव हरवा दिया था. बोले, पता ही नहीं चलता कि एमपी में सड़क पर गड्ढे हैं कि गड्ढों में सड़क है. योगी जी को वो सबक याद रखना चाहिए था. गड्ढे सिर्फ सड़कों पर ही नहीं होते, सरकारों में भी होते हैं, पार्टियों में भी होते हैं. चतुर राजनेता पहले अपने भीतर के गड्ढों में मिट्टी डालता है. लेकिन योगी ने वायदे के मुताबिक यूपी की सड़कें ही गड्ढामुक्त करवा दी होतीं, तो आज पब्लिकली गिरने के लिए कोई जगह ही न बचती.
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| उपचुनाव में जीत के बाद अखिलेश ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की |
अब गोरखपुर उपचुनाव के नतीजों के बाद बंदे पूछ रहे हैं कि त्रिपुरा में लेफ्ट की सरकार धड़ाम होने के बाद तो मूर्तियां टूटने का सिलसिला शुरू हो गया, यूपी में वैसा क्यों नहीं हुआ? अरे भइया, ज़रा ढंग से नज़रें उठाकर देखो. योगीजी की 'प्रतिमा' एक ही उपचुनाव में ढह गई है. जग जीता, घर हारे. कहावत भी है, घर का जोगी जोगड़ा, आन गांव का सिद्ध. अब योगी की 'प्रतिमा' उपद्रवियों ने खण्डित की होती तो यूपी की पुलिस कब की धर लेती, घर के लोगों पर कौन हाथ डाले.
राजनीति में भी ज़िंदा रहने के लिए ऑक्सीजन ज़रूरी चीज है साहब. जोगी ठाकुर को
अब याद आ रहा होगा. काश, उस वक़्त गोरखपुर के बच्चों को ऑक्सीजन टाइम पे
मिल गया होता. याद कीजिए, वो योगी के ही मंत्री थे, जिन्होंने गोरखपुर अस्पताल की उस ट्रेजडी पर कहा था कि अगस्त में तो बच्चे मरते ही हैं. आज जनता ने बता दिया कि अगर अगस्त में बच्चे मरते हैं, तो मार्च में ऐसा कहने वाली सरकारों की लुटिया भी डूब जाती है.
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| चुनाव नतीजे के बाद मायावती के सामने नतमस्तक सपा नेता |
वैसे एक बात माननी पड़ेगी. गोरखपुर और फूलपुर के उपचुनाव में जिस तरह से बसपा ने खेल किया है, उससे ये कहावत एक बार फिर साबित हो गई कि मरा हुआ हाथी भी सवा लाख का होता है. लेकिन मुझे तो लगता है कि इन उपचुनाव के नतीजों ने सीबीआई वालों का काम बढा दिया है. अब उन्हें दिन-रात मायावती की कुंडली जो खंगालनी पड़ेगी.
घर का जोगी जोगड़ा...
Reviewed by Manu Panwar
on
March 15, 2018
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