जब लेफ्ट ख़त्म हो गया तो बाएं क्यों चलें?
मनु पंवार
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साभार : Google |
संचार
माध्यमों से ज़ोरदार मुनादी करवाई जा रही थी. 'लेफ्ट ख़त्म हो गया, लेफ्ट
ख़त्म हो गया.' लेकिन हम तो ये बात तब मानेंगे जब सड़कों से 'कृपया बाएं
चलें' के साइन बोर्ड हट जाएंगे. वरना इस प्रचार के झांसे में नहीं
आने वाले. कल जब 'लेफ्ट ख़त्म हो गया' का शोर तेजी से उठा, तो किसी नादान आम नागरिक की तरह
हमने भी सोचा, हो सकता है कि ऐसा हो गया हो. वरना ये सभी लोग एक भाषा में,
एक सुर में ऐसा क्यों कहते?
सो
हम अपनी गड्डी उठाके सड़क पर निकले. सीधे ट्रैफिक पुलिस के साइन बोर्ड पर
नज़र पड़ी- कृपया बाएं चलें. हमने उस नसीहत को इग्नोर मारा. चल फिट्टे मुंह
! जब लेफ्ट ख़त्म हो गया, तो फिर बाएं क्यों चलें? अब दाहिने चलेंगे. अपन
ने बिंदास होके गाड़ी दायें घुसेड़ दी. हालांकि तब किसी ने आगाह कर दिया था कि अपन रॉन्ग साइड आ गए हैं, लेकिन उसे भी नज़रअंदाज करके बढ़ लिए आगे. लेकिन फिर जो हुआ, उसने तो हमारा
भ्रम तोड़ दिया. वहां से तो निकलना मुश्किल हो गया जी. राइट वाले बंदे रास्ता
देने को राजी ही नहीं थे.
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रास्ता क्या देते, सारे दाएं वाले बंदे तो इस अंदाज़ में अपन को घूरने लगे मानो अभी ज़िंदा निगल जाएंगे. हमें ऐसा भी प्रतीत हुआ कि उनके श्रीमुख से हमारे लिए गालियां भी झर रही हैं. वो तो ग़नीमत है कि उनका ऑडियो हमारे कान तक उचित माध्यम से नहीं पहुंच पाया, क्योंकि अपन ने शीशे चढ़ा रक्खे थे. किसी तरह मशक्कत करके कुछ आगे बढ़ा तो ट्रैफिक पुलिसवालों ने धर लिया. आव देखा न ताव, सीधे चालान बुक निकाल ली और चालान काटने लगे. मैंने प्रोटेस्ट किया, ओ भाई साहब ! सुना नहीं, लेफ्ट ख़त्म हो गया है. अब सब राइट चलेंगे. अब सब राइट ही राइट होगा. मेरी बात सुनकर ट्रैफिक पुलिसवाले सामूहिक उपहास वाली हंसी हंसे. फिर ऊपर से नीचे तक ऐसे घूरे मानो अभी पूछ ही डालेंगे- पीके है क्या? लेकिन शुक्र है कि मैं न तो आमिर ख़ान था और न ही उनका निभाया वो किरदार 'पीके'. इसलिए इस सवाल की नौबत नहीं आई.
अब सुनाने की बारी पुलिसवालों की थी. उन्होंने मुझे झिड़का, ओ भाई ! लेफ्ट
खत्म हो जाता तो हमें ना पता चलता ! और अगर सचमुच में लेफ्ट खत्म हो जाएगा तो राइट में
अराजकता मच जाएगी. राइट तो संभाले न संभलेगा. पूरा शहर जाम हो जाएगा. सब कुछ ठप हो जाएगा. हमारी नौकरी पे बन आएगी. जब
लेफ्ट होगा, तभी तो राइट भी सही चलेगा. ट्रैफिक पुलिसवाले ने चालान की पर्ची थमाते हुए लेफ्ट-राइट का पूरा दर्शन एक ही झटके में सामने
रख दिया. यह ख़ाकसार तब से सोच रहा है, फिर सारे संचार माध्यमों में जो लेफ्ट का मर्सिया गाया जा रहा है, वो क्या है?
जब लेफ्ट ख़त्म हो गया तो बाएं क्यों चलें?
Reviewed by Manu Panwar
on
March 04, 2018
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बढ़िया
ReplyDeleteशानदार ।
शुक्रिया. पढ़ने और फीडबैक के लिए
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