ये देश काटने से ही साफ होगा !
ऐसा फिल्मों में ही हो सकता है कि एक मच्छर आदमी को हिंजड़ा बना दे। वरना तो हिंजड़ा भी उस मच्छर से भयभीत है जो एक ही झटके में किसी भी बंदे के खून से लाखों प्लेटलेट्स लूट लेता है। वैसे खून चूसना मच्छर की फितरत है। वरना उसके मच्छर होने पर शक हो सकता है। हालांकि हर खून चूसने वाला मच्छर नहीं होता। अब उसके भांति-भांति के अवतार मार्केट में उपलब्ध हैं। दफ्तरों में वह बॉस के रूप में पाया जाता है। कई पति अपनी पत्नियों में उसे पाते हैं तो कई बहुओं को अपनी सास में ऐसा अवतार दिखता है।
लेकिन दाद देनी पड़ेगी डेंगू के मच्छर की। वो कोई ऐरा-गैरा नहीं है जी। एकदम सफाई पसंद मच्छर है। उसे साफ जगह, साफ पानी पसंद है। इस बात पर केजरीवाल ये दावा कर सकते हैं कि उनकी सरकार दिल्ली में साफ पानी मुहैया करा रही है। सोचिए, अगर दिल्ली में साफ पानी न मिल रहा होता तो भला डेंगू का मच्छर पैदा ही कहां से होता ? वैसे इसका क्रेडिट केजरीवाल को दें या लाट साहब को, इस पर कनफ्यूजन है क्योंकि दोनों के बीच अभी यही झगड़ा नहीं सुलझा कि दिल्ली का असली बॉस है कौन?
इस बीच, डेंगू के मच्छर ने इतनी सुर्खियां बटोर ली हैं कि अब उसे स्टारडम फील होने लगा है। कल कहीं ये न हो कि डेंगू मच्छर खुद को स्वच्छ भारत अभियान का ब्रैंड अंबेसडर बनाए जाने की मांग करने लगे। इस दलील के साथ कि जब से उसने लोगों को काटना शुरू किया है, तब से लोग अपने घरों और आसपास सफाई को लेकर सचेत हो गए हैं। यानी स्वच्छ भारत अभियान में मच्छर का भी रोल है। इसका सीधा संदेश ये है कि यह देश नारों और जुमलों से नहीं, बल्कि काटने से ही स्वच्छ होगा।
वैसे मुझे लगता है कि डेंगू के मच्छर की मूल प्रवृत्ति प्रगति विरोधी और राष्ट्र विरोधी है। देखिए न, कम्बख्त ने देश की राजधानी में ऐसे वक्त पर हमला बोला जबकि देश 'विश्वगुरु' बनने के मुहाने पर खड़ा है। 'विश्वगुरु' के घर में मच्छर…! मुझे फिल्म 'शोले' का जेलर याद आ रहा है। क्यों न डेंगू के मच्छर को पकड़कर मकोका या राष्ट्रद्रोह जैसे कड़े कानूनों में आजीवन जेल में ठूंस दिया जाए।
ये देश काटने से ही साफ होगा !
Reviewed by Manu Panwar
on
March 31, 2018
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