क्या त्रिवेन्द्र रावत को ये चैलेंज कबूल है?

मनु पंवार
 अग्निपथ: पौड़ी के जंगल में लगी आग. उत्तराखंड में हफ्तेभर से जंगल सुलग रहे हैं
पिछले कुछ दिन से सोच रहा था कि उत्तराखण्ड के चीफ मिनिस्टर त्रिवेन्द्र सिंह रावत को चैलेंज करूं कि दम है तो पहाड़ों के धधकते जंगलों की आग काबू करके दिखाओ. मौक़ा ही नहीं मिल पाया. वो तो ग़नीमत है कि विराट कोहली ने अपने प्रधानमंत्री को ट्विटर पर चैलेंज कर दिया कि सरजी ! ज़रा 'पुशअप' करके मल्लब दण्ड पेल के दिखाओ. और मज़े की बात देखिए कि देश के प्रधानमंत्री जी सारा काम-धाम छोड़ कर खुशी-खुशी तैयार भी हो गए जी. कह दिया, विराट ! जल्द ही वीडियो रिलीज़ करूंगा. मल्लब सबूत के साथ आऊंगा. लो कल्लो बात!

प्रधानमंत्री को ये चैलेंज कबूल है !
वैसे भी जब आप महंगाई समेत तमाम मुश्किल चैलेंजों से घिरे हों, लोग जहां-तहां गरिया रहे हों, कोई रास्ता न सूझ पा रहा हो और ऐसे में कोई बड़ा स्टार ट्विटर पर आपको बड़ी मासूमियत से चैलेंज दे दे कि ज़रा 'पुशअप' करके दिखाओ. आप फौरन उसे लपक लेंगे. ऐसे सुविधाजनक चैलेंज का मौका कौन छोड़ना चाहेगा भला? फिर चाहे वो देश के प्रधानमंत्री ही क्यों न हों. आप इसे चैलेंजों का सरलीकरण कहें तो कहते रहें. कम से कम पूरे दिनभर टीवी पर आपके पुशअप की और फिटनेस चैलेंज की चर्चा तो हो रही है. मीडिया के ज़रिए पुशअप एक राष्ट्रीय विमर्श बन गया है, ये क्या कम है!

पौड़ी में वन विभाग के कर्मचारी पेड़ों की टहनियों और पत्तों से आग बुझा रहे हैं
इसीलिए हमने भी सोचा कि जब चैलेंजों का सीज़न चल ही पड़ा है तो क्यों न अपने चीफ मिनिस्टर त्रिवेन्द्र सिंह रावत को चैलेंज दे ही डालें कि हे जनाब ! इत्ते प्रचण्ड बहुमतधारी हो. 70 में से 57 सीटें तुम्हारे खाते में डली हैं. चुनाव के वक्त कहा गया था कि तुम 'डबल इंजन' की सरकार हो, तो ज़रा इस दावानल को काबू करके दिखलाओ. लेकिन जब हमारे कैमरे पर तस्वीरें कैद हुईं तो उन्हें देखकर खुद पर ही गुस्सा आने लगा. उस बंदे को क्या चैलेंज करें जिसके अपने कारिंदे जंगल की प्रचण्ड आग को पेड़ों की बची-खुची टहनियों और पत्तों से बुझाने की जुगत कर रहे हों. जिस सरकार का एक इंजन दिल्ली में हो और दूसरा देहरादून में और उसमें दरिद्रता का आलम देखिए कि वन विभाग के पास आग बुझाने के साधन तक नहीं. हालांकि वन विभाग के ये हाल सनातन चले आ रहे हैं.

वैष्णोदेवी के पास के जंगल में आग बुझाने के लिए ये हेलिकॉप्टर लगाया गया
लेकिन फिर कल वैष्णोदेवी के रास्ते में कटरा के जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए एयर फोर्स के हेलिकॉप्टरों के ज़रिये पानी डाले जाने की तस्वीरें देखीं, तो फिर यह प्रवासी मन बड़ा विचलित हो गया. लगा अब तो त्रिवेन्द्र रावत जी को चैलेंज कर ही दूं. कह डालूं कि हे जनाब ! आप क्या सारा जंगल, सारी संपदा खाक होने का इंतज़ार कर रहे हैं?  आप क्या उस दिन का इंतज़ार कर रहे हैं कि जब पहाड़ में दमघोंटू धुएं से मरने की या जंगल की आग में झुलसने की ख़बरें आएं? या आप किसी सुपरमैन का इंतज़ार कर रहे हैं जो आसमान से उतरे और आपके धधकते जंगलों की आग को अपनी फूंक से ही बुझा डाले?

आग जब देहरी पर पहुंची तो पौड़ी में लोग घरों से पानी की बाल्टियां डालने लगे
उत्तराखण्ड की सरकार और उसके मुखिया हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठे हैं, यह समझ से परे है. ज़मीन पर तो कुछ दिख नहीं रहा है. सिर्फ आग, धुआं और तबाह हुए जंगल ही दिख रहे हैं. 24 मई तक के सरकारी आंकड़े बता रहे हैं कि उत्तराखण्ड में 2600 हेक्टेयर से ज़्यादा भूमि इस दावानल से नष्ट हो चुकी है (पूरा डेटा इसी लेख में सबसे नीचे दिया है). और अभी आग बुझी नहीं है. आंकड़े बता रहे हैं कि सबसे ज़्यादा नुकसान पौड़ी ज़िले में हुआ है. मुख्यमंत्री जी ! आप कब करवट लेंगे जी?
ये 2016 की तस्वीर है. इन्हीं चॉपर से आग बुझाई गई थी

टिहरी की झील पर अपने मंत्रिमंडल समेत की गई नौका विहार  की खुमारी कब उतारेंगे? आप इतने प्रचण्ड बहुमतधारी हो, हाईकमान के दुलारे हो. आप क्यों नहीं कहते कि इन हेलिकॉप्टर से पानी फिंकवा के हमारे पहाड़ों की आग भी बुझा दो. आखिर 2016 में भी तो वायुसेना के एमआई-17 हेलिकॉप्टरों के ज़रिये आग बुझाई गई थी. अब ऐसा क्यों नहीं हो सकता? आप ऐसी डिमांड क्यों नहीं रखते? क्या बिगड़ जाएगा? कहीं ये डर तो नहीं कि मोदीजी हड़का देंगे? अरे भई, कम से कम बात तो रखिए. ये बात भी ज़रूर याद रखिएगा कि सरकारें भले ही भेदभाव कर लें, आग भेदभाव नहीं करती. शायद इसीलिए राहत इंदौरी साहब ने कहा है-
'लगेगी आग तो आएँगे घर कई ज़द में
यहाँ पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है।'

साभार: इंडियन एक्सप्रेस 23 मई का अंक
इस बीच, मौसम विभाग से पता चला है कि जंगलों में लगी आग से इन दिनों उत्तराखण्ड के पहाड़ों का तापमान 7 डिग्री बढ़ गया है जबकि उत्तराखण्ड के मैदानों का तापमान सामान्य से 5 डिग्री बढ़ा है. ये कम डराने वाली बात नहीं है. आप सैलानियों को पहाड़ पर बुला रहे हो. मोदी जी ऑल वेदर रोड बनाने पर आमादा हैं. ये सब किसके लिए?
पौड़ी में वन विभाग का कर्मचारी पत्तों से आग बुझा रहा है
जब हिमालय को यूं छलनी कर देंगे, जब जंगल यूं तबाह होते जाएंगे, आबोहवा धुआं-धुआं रहेगी तो क्या खाक देखने आएंगे तहां? ज़रा इस पर भी सोचना जी. और हां, उत्तराखण्ड के पहाड़ों में जंगल-जंगल लगी ये आग जल्द से जल्द बुझाने का चैलेंज कबूल कर सको तो बताना जी. हमें और भी मसलों पर बात करनी है. फिलहाल कुछ तस्वीरें देखिए और सोचिए कि हम किस दौर में हैं और आपकी तैयारियां किस दौर की हैं और आपके सिस्टम के हाल क्या हैं. कम लिखा है, ज्यादा समझना. चैलेंज को चैलेंज की ही तरह लेना जी. वो ऐसा है कि पहाड़ों में झुलसते जंगलों और तबाह होती वन संपदा को बचाना 'पुशअप' जैसा कर्म तो कतई नहीं है.

प्रचण्ड आग का मुकाबला टहनियों से. ये तस्वीर भी पौड़ी की है

आंकडों की आग : उत्तराखंड वन विभाग का 24 मई, 2018 तक का डेटा.  अब तक 2668 हेक्टेयर जंगल खाक हो चुका है

क्या त्रिवेन्द्र रावत को ये चैलेंज कबूल है? क्या त्रिवेन्द्र रावत को ये चैलेंज कबूल है? Reviewed by Manu Panwar on May 25, 2018 Rating: 5

No comments