चल फुट री फुटबॉल !
मनु पंवार
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शनिवार को इंग्लैंड और स्वीडन के बीच क्वार्टर फाइनल हुआ |
चल फुट री फुटबॉल ! तेरा सत्यानाश हो। तू हमारी कभी न हुई। न हम कभी तेरे लायक हो पाए। री समय नाशिनी, रातों-रातों तक जगाने वाली फुटबॉल! फिर भी हम लाखों; बल्कि करोड़ों लोग तुझ पर फिदा हैं। फिदा क्या हैं, पगलाये हैं। इस एकतरफा मुहब्बत में टीवी के आगे आंखें फाड़-फाड़कर, दिल थामकर तेरी कलाबाज़ियों, तेरे करतबों को देखने के लिए रतजगा कर रहे हैं। तेरे चक्कर में कई रातें काली कर लीं। इश्क ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया...।
री यूरो और नीरो के मुल्क की मलिका! तू लेनिन के मुल्क में हो या नाजी हिटलर की सरज़मीं पर, मुसोलिनी की धरती पर हो या फिर सांबा की सरज़मीं पर। हम यहां सात समंदर पार पूरब में तेरी ताल से ताल मिलाए जा रहे हैं। यहां निठल्ले बैठे हैं। अपने खर्चे पर तेरी ही चर्चा में डूबे हैं। सारा काम-धाम चौपट। गलियों, मोहल्लों से लेकर दफ्तरों तक हर जगह तू ही तू। क्या पान, बीड़ी, तम्बाकू की दुकान। क्या रेहड़ी, क्या खोखा, क्या ढाबा, क्या रेस्टोरेंट। क्या फाइव स्टार होटल, क्या शॉपिंग मॉल। क्या क्या डीटीसी बस, क्या मेट्रो रेल, क्या ऑटो रिक्शा, क्या ई-रिक्शा, हर तरफ तेरी ही चर्चा। हर तरफ तेरा जलवा।
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फोटो सौजन्य- ट्विटर |
री हरी-भरी घास पर रपटने वाली फुटबॉल, अख़बारों से लेकर टीवी न्यूज़ चैनलों तक सभी तेरे रंगों में लथपथ हैं। अख़बारों के कई-कई कॉलम, बल्कि पेज तू चट कर रही है। कई-कई ख़बरों को कट कर रही है। री ख़बर भक्षिणी! तेरे किस्से-कहानियों ने अख़बारों के फ्रंट पेजों तक पांव पसारकर अपनी पेट्रोल-डीज़ल से लेकर गैस सिलिंडरों की बढ़ती कीमतों की चिंता और गुस्से को भी निगल लिया है। अपनी सरकार बहादुर भी बड़ी चालाक निकली। वर्ल्ड कप के इस सीज़न में मजे-मजे में अपनी जेब काट डाली और एक हम हैं कि इत्ता सब होने के बाद भी हमने चूं तक न की। तुझसे फुर्सत मिले तो कुछ सोचें, कुछ करें। ऐसे जिगरी आशिक तुझे और कहां मिलेंगे भला?
री गोरी चमड़ी वालों की दुलारी फुटबॉल! इस सांवली चमड़ी वालों के मुल्क से तुझे क्या बैर है? चल फुट रेसिस्ट कहीं की। आखिर हमसे रूठी क्यों है? हम यहां तेरे इश्क़ में देवदास बने बैठे हैं (शरत चंद्र के नहीं संजय लीला भंसाली के देवदास), और एक तू है कि हमसे मुंह फेरे हुए है। चल हट पारो कहीं की! हम तेरी रैंकिंग में निचले पायदान पर ही सही, मगर तेरे लिये दिल अपना भी धड़कता है।
री अगड़े मुल्कों की लैला! याद रखना। हम जैसे पिछड़े मजनुओं के लिए कभी तो तेरा हृदय पसीजेगा। कभी तो तू हमें गले लगाकर झप्पी देने के लिए आगे बढ़ेगी। कभी तो अपने भी अच्छे दिन आएंगे। अपने पास धैर्य का बहुत कोटा है। हम इस इंतज़ार में हैं कि तेरे नियम-कायदों, तेरी शर्तों की यह बर्लिन सी सख्त दीवार ढहे तो अपना भी नंबर आए।
री गोल-मटोल देसी रुपये जैसी फुटबॉल! क्या हुआ गर तुझपे डॉलर, पाउंड, यूरो वाले रईस लोग मरते हैं। क्या हुआ गर डॉलर के मुकाबले अपने रुपये की हालत पतली चल रही है। तुझ पर मरने वाले अपने यहां भी कम नहीं हैं।
री मैस्सी, नेमार, रोनाल्डो, रोनाल्डिन्हों की पैरों की थिरकन, री माराडोना के हैंड ऑफ गॉड! तेरे नाम पर कई बेखमों में खम ठोके हैं। अपने बालकों पर उन जैसा दम न सही, पर तेरी चाहत की वरीयता में ऊपर आने की हसरत वो भी रखते हैं।
री स्पेनिशों की शान, फिरंगियों की नाक, ब्राजीलियों की जिगर, फ्रांसीसियों की धड़कन! तेरा करेक्टर अपनी समझ से परे है। दुनिया के महाबली अमरीका तक की हैसियत तेरे आगे कुछ नहीं। अपनी तो बिसात ही क्या है। चल फुट! लातों की भूत, तू बातों से कहां मानती है!
चल फुट री फुटबॉल !
Reviewed by Manu Panwar
on
July 08, 2018
Rating:

awesome...
ReplyDeleteShukriya
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