...जब धृतराष्ट्र ने झल्लाकर कहा- पीके है क्या?
मनु पंवार
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प्रतीकात्मक चित्र गूगल के सौजन्य से |
कुरुक्षेत्र के स्लॉग ओवर चल रहे थे. धृतराष्ट्र संजय के ज़रिए रनिंग कमेंटरी सुन रहे थे. जहां पल-पल सिचुएशन बदल रही थी. लिहाज़ा तगड़ा रोमांच पैदा हो गया था.
धृतराष्ट्र - "हे संजय ! ज़रा कुरुक्षेत्र का अपडेट तो बताओ."
संजय- "महाराज ! क्या बताऊं ! सब कुछ गड्डमड्ड सा हो गया है. हमारा रक्षा मंत्री जेएनयू पर बोल रहा है और आईटी मंत्री रक्षा पर बोल रहा है. वित्त मंत्री ब्लॉग लिख रहा है. कुछ समझ नहीं आ रहा महाराज कि ये हो क्या रहा है?"
धृतराष्ट्र - "और दुर्योधन और दु:शासन क्या कर रहे हैं?"
संजय- "क्या बताऊं महाराज ! दुर्योधन जन-धन में बिजी है और दु:शासन उधर बिहार के 'सुशासन' में पर्यटन करने गया है और लगातार ख़बरों में बना हुआ है.
यह सुनकर धृतराष्ट्र आग बबूला हो गए. झल्लाकर बोले- "अबे स्साले ! पीके है क्या?"
संजय- "हां महाराज ! आपने अच्छा याद दिलाया. 'पीके' ने सुशासन वाली पार्टी जॉइन कर ली है."
धृतराष्ट्र सिंहासन पर अपना माथा पकड़कर बैठ गए.
...जब धृतराष्ट्र ने झल्लाकर कहा- पीके है क्या?
Reviewed by Manu Panwar
on
September 23, 2018
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