'जब सुर में खुदा बसता है तो किसी का क्या डर'

मनु पंवार

उस्ताद अहमद हुसैन और मोहम्मद हुसैन                फोटो साभार : Google


ग़ज़ल सुनने के शौकीन जानते होंगे कि उस्ताद अहमद हुसैन और मोहम्मद हुसैन कितनी बड़ी तोप हैं। दोनों भाई हैं। सगे भाई। जयपुर के रहने वाले हैं। दो जिस्म एक जान टाइप हैं। फ़िल्मों में भी गा चुके हैं। मेहदी हसन, ग़ुलाम अली, जगजीत सिंह जैसे धुरंधरों की मौजूदगी के बीच वो ग़ज़ल गायिकी के आकाश में तेज़ी से उभरे और छा गए। क्या अंदाज़ है, क्या गायिकी है, क्या सुर है, क्या कण्ठ पाया है इन्होंने। जोड़ी में गाते हैं, भेद करना मुश्किल है कि कौन अहमद हैं औ
र कौन मोहम्मद।



शिमला के रिज़ पर हुसैन बंधुओं के साथ एक तस्वीर. फोटो अप्रैल 2000 की है
तरुणाई के दौर से हुसैन बंधु अपने फेवरिट हैं। उनकी गायिकी में एक अलग ताज़गी महसूस होती है। 'मैं हवा हूं कहां वतन मेरा...', 'आईने से कब तलक अपना दिल बहलागे...', 'मौसम आएंगे जाएंगे..' 'दो जवां दिलों का ग़म दूरियां समझती हैं...', 'चल मेरे साथ ही चल...' ऐसी न जाने कितनी ही गज़लों को हुसैन बंधुओं ने अपने विशिष्ट सुरों से अमर कर दिया।



उनसे पहली मुलाकात 'एक्सीडेंटल' थी। मेरी खुशकिस्मती थी। ये अप्रैल 2000 की बात है। मैं उन दिनों शिमला में 'अमर उजाला' अख़बार में रिपोर्टर था। मशहूर मॉल रोड से मैं किसी दिशा में गुज़र रहा था। तभी नज़र दो चेहरों पर पड़ी तो कदम ठिठक गए। जींस-टी शर्ट, पैंट-शर्ट में मुझे जाने-पहचाने, देखे से चेहरे दिख रहे थे। वो माल रोड में तफ़रीह कर रहे थे। उन्हें पहचानना आसान नहीं था, क्योंकि उन्हें हमेशा कुर्ते-पायजामे वाली तस्वीरों में ही देखा था। लेकिन हुसैन बंधुओं की सूरत किशोर उम्र से ही दिलोदिमाग़ में बसी है, सो पहचान लिया। वो हुसैन बंधु ही थे। अहमद हुसैन और मोहम्मद हुसैन। उन दिनों वो मंडी में एक प्रोग्राम देकर शिमला घूमने आए थे।

मैंने पकड़ लिया। पूछा, मुआफ़ कीजिएगा, अगर मैं ग़लत नहीं हूं तो आप हुसैन बंधु हैं। उन्होंने एक चौड़ी मुस्कुराहट के साथ हामी भरी। फिर तो चलते-चलते लंबी बातचीत हो गई। मैंने पूछा, 'मुसलमान होते हुए आपने भजनों के कई कैसेट निकाले हैं. हिंदू देवी-देवताओं की आराधना गाई है। सरस्वती और गणेश वंदना गाई है। कभी असहज स्थिति का सामना हुआ क्या? वे बोले, 'शब्द हमारे नहीं हैं, लेकिन सुरों का चयन हमारा है। सुर में खुदा बसता है, ईश्वर बसता है। जब सुर में खुदा है तो किसी का क्या डर...।'
'जब सुर में खुदा बसता है तो किसी का क्या डर' 'जब सुर में खुदा बसता है तो किसी का क्या डर' Reviewed by Manu Panwar on January 13, 2019 Rating: 5

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