पाकिस्तान को किस 'भाषा' में जवाब दें, उर्दू में या पंजाबी में?
मनु पंवार
सोशल मीडिया से लेकर न्यूज़
चैनलों तक के जंगी बेड़े तैयार हो चुके हैं।
कैमरों, गनमाइक से लैस परम प्रतापी
रिपोर्टर बख्तरबंद गाड़ियों में सवार हो चुके हैं। एंकरान स्टूडियो से
जंग का उद्घोष कर रहे हैं। बड़ी-बड़ी मूछों वाली पूर्व फौजी
अफसरान बतौर एक्सपर्ट्स टीवी पर अपनी हाहाकारी ज़ुबान से
रोज़ाना दुश्मन पर सर्जिकल स्ट्राइक किए जा रहे हैं। घर में घुसके मारो, नेस्तनाबूद
कर दो, नामोनिशान मिटा
दो जैसी प्रलयंकारी हुंकारें गूंज रही हैं।
बैकग्राउंड में बॉलीवुडिया देशभक्ति के गीत माहौल को और घनघोर और तेज़ाबी
बना रहे हैं। देखने/ सुनने वालों
की भुजायें फड़फड़ा रही थी। धमनियों में लहू उबाल मार रहा था। बस अबके
आर या पार। सबकी जुबां पर
एक ही नारा, पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब दिया जाए।
इन तमाम हुंकारों के बीच ये तो पता लग गया कि सारी समस्या ‘भाषा’ की ही है। लेकिन पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देने में कई चुनौतियां हैं। कई व्यावहारिक अड़चनें हैं। सबसे बड़ी अड़चन तो यही है कि पाकिस्तान में अभी यही तय नहीं है कि उसकी अपनी भाषा क्या हो? उर्दू, पंजाबी या अंग्रेज़ी?
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कार्टून साभार : Google |
असल में पाकिस्तान में उर्दू प्रमुख रूप से उन
लोगों की भाषा है जो
सन्
1947
में
बंटवारे के बाद हिंदुस्तान से गए थे। उन्हें अब भी ‘मुहाजिर’ कहा जाता है। गूगल बता रहा है कि
उनकी आबादी पाकिस्तान में क़रीब 8 फीसदी है। मुहाजिरों से वहां भेदभाव
की ख़बरें अक्सर आती रहती हैं। मुहाजिरों की एक ताक़तवर पार्टी भी है, मुत्ताहिदा क़ौमी मूवमेंट
यानी एमक्य़ूएम। जिसके मुखिया अल्ताफ़ हुसैन हैं। जो अक्सर हिंदुस्तान के
पक्ष में बोलते रहते हैं और पाकिस्तान को गरियाते रहते हैं। लेकिन
मुहाजिरों की भाषा उर्दू में अगर पाकिस्तान को जवाब देने की सोचेंगे, तो बात वहां के असली
हुक्मरानों के कानों तक कैसे पहुंच पाएगी? वे तो ज्यादातर पंजाबीभाषी
हैं। ये सारी दुनिया ने देखा कि खुद प्रधानमंत्री इमरान ख़ान उर्दू में शपथ ग्रहण करने की कोशिश करते
हुए कई बार लड़खड़ाए।
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इमरान खान उर्दू में शपथ ग्रहण करने की कोशिश में कई बार लड़खड़ाए |
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साभार : सतीश आचार्य का कार्टून उनके ट्विटर हैंडल से |
एक विकल्प यह है कि पाकिस्तान
को अंग्रेज़ी भाषा में दिया जाए। अंग्रेज़ी पाकिस्तान में सरकारी कामकाज़ की भाषा भी है
और अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति की भाषा तो है ही। लेकिन 'दुश्मन' को गरियाने, उसको 'करारा' जवाब देने का जो मज़ा पंजाबी या देसी
हिन्दी में है,
वो
भला किसी और में कहां..?
माफ़ कीजिएगा, मगर उर्दू में नफासत आड़े
आ जाती है जी। उर्दू में तो लगता ही नहीं है कि आप किसी को गाली दे रहे हैं। बड़ी
तहज़ीब की भाषा है जी ये उर्दू। गाली देंगे तो लगता है फूल झर रहे हों। ऐसी गाली को
किसी को खाक लगेगी ! इसीलिए हमारे देश
की सरकारें अक्सर उधेड़बुन में रहती हैं कि आखिर पाकिस्तान को जवाब दें, तो दें किस भाषा में? शायद सरकारों के रिस्पॉन्स में इसीलिए देर हो जाती
है।
पाकिस्तान को किस 'भाषा' में जवाब दें, उर्दू में या पंजाबी में?
Reviewed by Manu Panwar
on
February 17, 2019
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