घर-घर चौकीदार के फायदे
मनु पंवार
( '...सबसे बड़ा फायदा तो यही है कि इससे हमारी पुलिस पर काम का बोझ कम हो जाएगा. उसके दायित्वों का विकेन्द्रीकरण हो जाएगा. हर कोई चौकीदार होगा तो न चोरी की घटनाओं का पता चलेगा और न ही चोर का. समाज में शांति बनी रहेगी...' )
( '...सबसे बड़ा फायदा तो यही है कि इससे हमारी पुलिस पर काम का बोझ कम हो जाएगा. उसके दायित्वों का विकेन्द्रीकरण हो जाएगा. हर कोई चौकीदार होगा तो न चोरी की घटनाओं का पता चलेगा और न ही चोर का. समाज में शांति बनी रहेगी...' )
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साभार : सतीश आचार्य का कार्टून उनके ट्विटर हैंडल से |
चौकीदार
एक सामाजिक प्राणी है. कई चौकीदार
ऐसे भी होते हैं जिनके सामाजिक चेहरे की आड़ लेकर कई असामाजिक प्राणी खुद को छिपा लेते हैं. चौकीदार ने हमारे आधुनिक राजनीतिक इतिहास को जो युगों में बांट दिया है. पहला, पूर्व चौकीदारकालीन इतिहास और दूसरा, उत्तर चौकीदारकालीन इतिहास. मतलब जो चोरी-चकारी की घटनाएं, जो वारदातें, जो लूट चौकीदारकालीन इतिहास के शुरू होने से पहले हुईं, उन्हें अपने होने पर बहुत अफसोस हो रहा है. उन्हें बार-बार ये मलाल हो रहा है कि हाय, हम चौकीदार युग में क्यों न हुए.
हमारे देश में चौकीदार बहुत से मसलों का हल है, यह बात इस बार चुनावी बेला पर जाकर पता चल रही है. वैसे इस 'घर-घर चौकीदार' का सबसे बड़ा फायदा तो यह है कि इससे हमारी पुलिस पर काम का बोझ कम हो
जाएगा. उसके दायित्वों का विकेन्द्रीकरण हो जाएगा. हर कोई चौकीदार होगा तो
चोरी की घटनाओं का पता ही नहीं चलेगा. इस तरह समाज में शांति बनाए रखने में बहुत मदद मिलेगी. हालांकि इसका एक साइड इफेक्ट ये भी है कि तब चोर का पता ही नहीं चलेगा. लेकिन फायदा ये भी है कि सरकार अपना सीना ठोककर दावा कर सकती है कि हमने देश को 'चोर मुक्त' कर दिया है.
'घर-घर चौकीदार' का चलन शुरू होने से सबसे बड़ी राहत की बात ये होगी कि चौकीदार की नाइट शिफ्ट ख़त्म हो जाएगी. वरना तो चौकीदार
प्राय: रात्रि को प्राइम टाइम पर ही प्रकट होता है. रात भर बेचारे को गलियों-मोहल्लों डंडा पटकते हुए और सीटी बजाते हुए गुजरना पड़ता है. उसे अपने जागते रहने का सबूत देना होता है. यह बहुत कठिन ड्यूटी है जी.
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साभार: टाइम्स ऑफ इंडिया में उदय देब का कैरिकेचर |
चौकीदार
का बुनियादी काम चौकसी करना होता है. हालांकि, इसके बावजूद कई मेहुल चौकसी निकल जाया करते हैं, लेकिन वो अलग मसला है. ऐसा माना जाता है कि चौकीदार रात को
सोता नहीं है. चौकीदार टीवी के किसी क्राइम शो के एंकर की तरह चीत्कार नहीं भरता कि चैन
से सोना है तो जाग जाओ. वो जानता है कि कहीं पब्लिक पलटकर ये न कह बैठे कि
भाई, अगर हमें ही जागना है तो फिर तुम्हें क्यों रखा? लेकिन अब चौकीदार पर नाइट शिफ्ट का दबाव नहीं रहेगा. अब देश में चौकीदारी का विकेंद्रीकरण हो गया है.
चौबीस घंटे के भीतर ही अनगिनत चौकीदार अपॉइन्ट हो गए हैं. एक घर की घंटी बजाएंगे, अंदर से पांच चौकीदार निकलेंगे. इसलिए आपकी गली, मोहल्ले या सोसायटी में अगर चोरी-चकारी की घटनाएं होती हैं तो पुलिस के पास जाने की ज़रूरत नहीं है. अपने आसपास सबसे पहले उस बंदे को ढूंढिए जिसके पास स्मार्टफोन है, जो ट्विटर चलाता है और जिसने कल ही अपने ट्विटर अकाउंट पर खुद के चौकीदार होने की घोषणा की है. वैसे भी सबको चौकीदारी इसीलिए बांटी गई है ताकि इल्जाम किसी अकेले के सर पर न आए.
घर-घर चौकीदार के फायदे
Reviewed by Manu Panwar
on
March 18, 2019
Rating:

बहुत सुंदर
ReplyDeleteशुक्रिया भाई
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