मुलायम के घर में ‘अदृश्य शक्ति’ ने झगड़ा डलवाया?

मनु पंवार
साभार : सती आचार्य का कार्टून
दूसरों के घरों में झगड़ा डलवाने के मामले में माननीय अमर सिंह का चमकदार अतीत रहा है. राजनीति से लेकर बॉलीवुड और उद्योग जगत तक उनके पास झगड़ा डलवाने का उनका अच्छा खासा अनुभव है. लेकिन इस बार मुलायम सिंह यादव के घर में टिकट बंटवारे को लेकर जो झगड़ा पड़ गया है, उसे देखकर खुद अमर सिंह भी हैरान होंगे. इस बार तो वो सीन में वो दूर-दूर तक नहीं है. फिर वो कौन सी अदृश्य शक्ति है जोकि उनके जैसा काम कर रही है?
 
साभार: TOI में अजित निनान का पुराना कार्टून
यूपी चुनाव से पहले जब मुलायम के घर में गृहयुद्ध भड़का था, तब ये साफ-साफ पता चल गया था कि मुलायम सिंह यादव की 'उमर' नहीं हुई, बल्कि मुलायम सिंह को 'अमर' हो गया है. वैसे अमर सिंह को तब मोदी सरकार से इनाम भी मिला था. उन्हें दो साल पहले जेड कैटेगरी की सुरक्षा दे दी गई थी. हालांकि जो नाम से ही 'अमर'  हैं, उन्हें ला किसी सिक्योरिटी की क्या जरूरत थी? लेकिन राजनीति जो न कराए. वैसे जिस बंदे ने उस समय बिना सिक्योरिटी के ही समाजवादी पार्टी में दो फाड़ करा दिए थे, वो जेड सिक्योरिटी लेकर क्या कुछ नहीं कर डालता ! 
 
तब नौबत ये आ गई थी कि अखिलेश यादव उर्फ 'टीपू'  अपने घर की लड़ाई में बलहीन से दिख रहे थे. उन दिनों इस 'टीपू' का 'सुल्तान' कोई और ले उड़ा था. हालांकि बाद में टीपू ने सुल्तान बनकर दिखा ही दिया, भले ही यूपी चुनाव में हार गए लेकिन पार्टी कब्जा ली. 


साभार: TOI में अजित निनान का कार्टून
लेकिन इस बार झगड़ा इस पर मचा है कि मुलायम के कहने के बावजूद अखिलेश यादव ने अपनी सौतेली मां की बहू अपर्णा यादव को टिकट क्यों नहीं दिया? मुलायम की छोटी बहू अपर्णा वही महिला हैं, जिनकी गोशाला को अखिलेश यादव ने अपने राजकाल में यूपी के गोसेवा आयोग का 86 परसेंट सरकारी फंड आंख मूंदकर दे दिया था. तब ऐसा लग रहा था कि मानो सबसे बड़ी 'गोरक्षक' अपर्णा यादव ही हों. वो तो गनीमत रही कि अपर्णा ने ये शिकायत नहीं की कि जेठजी ने 14 परसेंट फंड काट लिया, सिर्फ 86 परसेंट ही पकड़ाया.

लेकिन इस बार अपर्णा को 100 परसेंट चाहिए था. संभल सीट से ससुरजी (मुलायम सिंह) ने उनकी सिफारिश कर दी थी, लेकिन जेठजी (अखिलेश) ने भाव नहीं दिया. अब भला मुलायम सिंह की क्या रह गई? मुझे तो मुलायम सिंह के नाम में ही विरोधाभास दिखता है. यह नाम 'सिंह' प्रजाति की मूल प्रवृत्ति के ख़िलाफ़ जाता है. सोचिए, 'सिंह' अगर मुलायम हो जाए तो जंगल में राजकाज कैसे करेगा? उसकी धौंस, उसकी ठसक, उसकी हनक जाती रहेगी. शायद इसीलिए शेक्सपीयर बरसों पहले कह गए कि नाम में क्या रखा है? शेक्सपीयर की बात माननी पड़ेगी वरना 'सिंह' के मुलायम होने पर सवाल उठने लगेंगे.

मुलायम के घर में ‘अदृश्य शक्ति’ ने झगड़ा डलवाया? मुलायम के घर में ‘अदृश्य शक्ति’ ने झगड़ा डलवाया? Reviewed by Manu Panwar on March 16, 2019 Rating: 5

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