विधानसभा के पास रिजॉर्ट बनाने के फायदे

मनु पंवार

साभार : सतीश आचार्य का कार्टून उनके ट्विटर हैंडल से

ये क्या बात हुई कि दूसरी पार्टियों में तोड़फोड़ करके हमारे माननीय विधायकों को रिजॉर्ट में ठहराने के लिए दूसरे राज्यों में भेजना पड़ता है. इससे तो हमारे राज्यों का पिछड़ापन झलकता है जी. ज़माना क्या कहेगा ! न्यू इंडिया वालों के पास कायदे का रिजॉर्ट भी नहीं है. थू-थू हो जाएगी जी. 

इसलिए केंद्र सरकार को इस पर सीरियसली विचार करना चाहिए कि हर विधानसभा के पास कम से कम दो-दो रिजॉर्ट तो बना ही लिए जाएं. इसका खर्चा या तो केंद्र वहन करे या राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों मिलकर वहन करें. ये भी हो सकता है कि इस ठेके को पीपीपी मोड यानी पब्लिक-प्राइवेट-पार्टिशिपेशन पर दे दिया जाए. बड़ी सुविधा होगी जी.

अब आप सवाल पूछ सकते हैं कि दो रिजॉर्ट क्यों? अरे भई, एक रिजॉर्ट उस पार्टी के विधायकों के लिए जो हर हाल में सरकार बनाने पर आमादा है और दूसरा रिजॉर्ट उस पार्टी के लिए जिसके विधायकों को तोड़ा जाना है. विधानसभा के पास ही रिजॉर्ट होंगे तो इससे समय भी बचेगा और ख़र्चा भी. वहीं का वहीं हिसाब हो जाएगा. डील करने में आसानी होगी. सरकार के 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' नारे का भी मान रह जाएगा. साथ-साथ पक्ष-विपक्ष के विधायकों में भाईचारा भी आपसी बढ़ेगा. मल्लब 'उधर' का भाई जब चाहे तब इधर आकर 'चारा' डाल सकता है.

ऐसा हो जाएगा तो विधायकों को बसों में या फ्लाइट में लादकर यूं आधी रात को न मुंबई और न गोवा भेजने की ज़रूरत पड़ेगी, न ही हैदराबाद और या केरल. बताइए, कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों को मुंबई के फाइव स्टार होटल में भेजना पड़ा. ये हमारे जनप्रतिनिधियों का अपमान है. 

विधानसभा भवन के पास ही रिजॉर्ट बन जाएंगे, तो भविष्य में ऐसी नौबत नहीं आएगी. विधायक हित में सरकार इस प्रस्ताव पर तत्काल विचार करे. इसमें उतना ज्यादा खर्चा भी नहीं आएगा और लोकतंत्र भी मजबूत रहेगा.
विधानसभा के पास रिजॉर्ट बनाने के फायदे विधानसभा के पास रिजॉर्ट बनाने के फायदे Reviewed by Manu Panwar on July 17, 2019 Rating: 5

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