आज विभीषण का शपथ ग्रहण है
मनु पंवार
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साभार : मुकेश नौटियाल |
आज दशहरा है. जैसी कि रीत चली आ रही है, देश की तमाम रामलीलाओं में आज रावण मारा जाएगा. उसका विशालकाय पुतला फूंका जाएगा. रावण के पुतले के धुआं-धुआं होते ही 'अधर्म' पर 'धर्म' की जीत पक्की हो जाएगी. उसके बाद शाम को ही रावण के छोटे भाई विभीषण को नए लंकापति के तौर पर पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई जाएगी. ये बात अलग है कि विभीषण खुद अपने बड़े भाई और लंकाधीश 'रावण की नाभि में अमृत' वाली गोपनीयता दूसरे देश के भावी राजा को लीक करने का आरोपी है. उसके इस गंभीर अपराध पर तो कहावत भी बनी है, घर का भेदी लंका ढाए. लेकिन अगर विभीषण ने गोपनीयता भंग की है तो इसका मतलब ये कत्तई नहीं है कि वो पद के साथ गोपनीयता की शपथ नहीं ले सकता. इस बिंदु पर संविधान में संशोधन किया जा सकता है. राजा के आगे संविधान की क्या बिसात !
बहरहाल, आज विभीषण को नए लंकाधीश के तौर पर शपथ ग्रहण करनी है. जैसे कि हमारे यहां परंपरा चली आ रही है, कोई बड़ा नेता जब शपथ ग्रहण करता है तो उससे पहले उसे तमाम आरोपों, तमाम मुकदमों से बरी कर दिया जाता है, वरना जज का लोया हो सकता है. हमारे लोकतंत्र की शुद्धता बनी रहे, इसलिए नेता को शुद्ध और पवित्र दिखाना बहुत ज़रूरी है. इसलिए समय की मांग है कि विभीषण पर भी राजद्रोह का मुकदमा तत्काल प्रभाव से वापस हो. लेकिन उससे पहले विभीषण पर लगा 'घर का भेदी लंका ढाए' वाला कलंक मिटाया जाना चाहिए. वह ज्यादा बड़ा और ज़्यादा अपमानजनक है.
चूंकि विभीषण अब लंका के नए राष्ट्राध्यक्ष होने जा रहे हैं, लिहाज़ा 'घर का भेदी' कहावत के निर्माताओं और इसका प्रचार-प्रसार करने वाले रावणवादी इतिहासकारों के ख़िलाफ़ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज होना चाहिए. उन्हें जेल में ठूंस देना चाहिए. उनके घरों पे सीबीआई, ईडी इत्यादि एजेंसियों से छापे पड़वाए जाएं. पता तो चले कि विभीषण को बदनाम करने के लिए ये लोग किनके इशारे पर काम कर रहे थे.
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फोटो सलीमा आरिफ की फेसबुक वॉल से साभार |
ये तो बड़ी हैरानी की बात है कि रावण जैसे परमप्रतापी राजा के उत्तराधिकारी विभीषण के कुर्ते पर वह दाग त्रेतायुग से लेकर कलियुग तक चिपका हुआ है. अरे भई, विभीषण को लानत भेज लो, मगर ये भी तो देखो कि वो भाई किसका था. उस रावण का, जिसका कि तीनों लोकों में डंका बजता था. उस बंदे ने तो देवताओं की भी नींद उड़ाई हुई थी. इसलिए विभीषण का न सही तो कम से कम उस पराक्रमी दिवंगत रावण का तो लिहाज करो. वैसे हमें तो विभीषण का भी शुक्रगुजार होना चाहिए. वो इसलिए क्योंकि अपने सगे भाई के भेद दूसरों को बताने वाली वो रावणकालीन विभीषणी परंपरा आज हमारी राजनीति में काफी फल-फूल रही है. आज हर पार्टी में विभीषण हैं और कई विभीषण तो अपनी छोटी-छोटी लंकाओं में राज भी कर रहे हैं.
सच कहूं, हमें तो आज तक समझ में नहीं आया कि सोने की लंका ढहाने का दोष सिर्फ घर के भेदी अर्थात् विभीषण के मत्थे ही क्यों मढ़ा गया? हमें लगता है कि चूंकि रावण एकछत्र राज करने वाला शासक था. उसके पास तीनों लोकों का प्रचण्ड बहुमत था. लिहाज़ा उसके समर्थकों ने उसके सारे दोष छिपा दिए और विभीषण को बलि का बकरा बना लिया. सत्ता के गुण गाने वाले रावणवादी इतिहासकारों ने भी बेचारे विभीषण को बदनाम कर दिया. विभीषण आज तक उस दाग़ से नहीं उबर पाया है. वरना लंका के ढहने की तो कई और वजहें रही हैं.
वह शूर्पणखा क्यों कसूरवार नहीं है जिसने लंका के सर्वनाश की बुनियाद रखी? सारा दोष उसके मचलते यौवन का है जिसको बहाना बनाकर लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक काट डाली. हालांकि एक प्रश्न यह भी है कि प्रेम की अर्जी को कोई इत्ते हिंसक तरीके से ठुकराता है भला !
बहरहाल, दोष रावण का भी है, जिसने वक़्त पर अपनी बहना के हाथ पीले नहीं किए. बताइए, इत्ती बड़ी सोने की लंका का मालिक, इत्ता सर्वशक्तिमान राजा और बहन के लिए सुयोग्य वर ढूंढकर उसका घर नहीं बसा पाया ! वरना शूर्पणखा को क्या जरूरत थी कि वह खुद प्रेम प्रस्ताव लेकर वनवासी विवाहित पुरुष लक्ष्मण के इर्द-गिर्द मटकती फिरती? इतने बड़े और इतने विद्वान राजा की बहन और ऐसी हरकत ! इतिहास गवाह है कि ऐसी शूर्पणखायें कालान्तर में कई साम्राज्यों के पतन की वजह बनी हैं.
वह शूर्पणखा क्यों कसूरवार नहीं है जिसने लंका के सर्वनाश की बुनियाद रखी? सारा दोष उसके मचलते यौवन का है जिसको बहाना बनाकर लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक काट डाली. हालांकि एक प्रश्न यह भी है कि प्रेम की अर्जी को कोई इत्ते हिंसक तरीके से ठुकराता है भला !
बहरहाल, दोष रावण का भी है, जिसने वक़्त पर अपनी बहना के हाथ पीले नहीं किए. बताइए, इत्ती बड़ी सोने की लंका का मालिक, इत्ता सर्वशक्तिमान राजा और बहन के लिए सुयोग्य वर ढूंढकर उसका घर नहीं बसा पाया ! वरना शूर्पणखा को क्या जरूरत थी कि वह खुद प्रेम प्रस्ताव लेकर वनवासी विवाहित पुरुष लक्ष्मण के इर्द-गिर्द मटकती फिरती? इतने बड़े और इतने विद्वान राजा की बहन और ऐसी हरकत ! इतिहास गवाह है कि ऐसी शूर्पणखायें कालान्तर में कई साम्राज्यों के पतन की वजह बनी हैं.
आज विभीषण का शपथ ग्रहण है
Reviewed by Manu Panwar
on
October 08, 2019
Rating:

शानदार ब्यंग्य।
ReplyDeleteजी शुक्रिया पढ़ने और फीडबैक के लिए
ReplyDeleteबहुत शानदार
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
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