अथश्री एक्जिट पोल कथा !

मनु पंवार

मंजुल का कार्टून उनके ट्विटर हैंडल से साभार

दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए फरवरी को जिस दिन वोट पड़ रहे थेउस दिन सबसे बड़ा मुद्दा यह था कि अरविंद केजरीवाल ने मंदिर में जाकर जूते उतारने के बाद हाथ क्यों नहीं धोएदिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष और भोजपुरी के जाने-माने गायक मनोज तिवारी दिनभर यही गाते रहे. उससे ऐसा लग रहा था कि मानो शाम होते-होते इस मुद्दे पर केजरीवाल की सरकार गिर जाएगी. लेकिन जब शाम को टीवी न्यूज़ चैनलों पर एक्ज़िट पोल चलने लगे तो सूरत ही कुछ और थी. सारे एक्जिट पोल आम आदमी पार्टी की फिर से सरकार बनाते दिख रहे थे. तब इस बा लगभग मुहर लग गई कि मनोज तिवारी तो दरअसल दिल्ली में बीजेपी के मणिशंकर अय्यर हैं.

एक्जिट पोल का विश्लेषण देखकर मैं तो हैरान रह गया जी. अपनी पार्टी बीजेपी को जिताने के लिए दिल्ली की झुग्गियों में रात बिताने केंद्रीय मंत्रियों ने डेरा डाला लेकिन एग्जिट पोल के मुताबिक झुग्गियों से वोट केजरीवाल को पड़े. बताइए, मल्लब मंत्रीजी की खातिरदारी करने के बाद झुग्गी वाले बंदे ने अगली सुबह उन्हीं की पार्टी के ख़िलाफ़ वोट दे दिया. यह तो घनघोर कलियुग आ गया जी.

मुझे को केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह पर भी तरस आ रहा है. बिहार के बेगूसराय के गिरिराज जब दिल्ली के रिठाला में चुनाव में पैसा बांटने के आरोपों में घिरे तो उसका जवाब देने के लिए उन्हें मजबूरन 42 हज़ार रुपये की अंगूठी ख़रीदनी पड़ी. वरना वो क्या जवाब देते कि दिल्ली के पॉश इलाके लोधी रोड से वो करीब 25 किलोमीटर दूर रिठाला क्या करने गए थे, वो भी वोटिंग से पहले की शाम? अब एक्ज़िट पोल के नतीजे देखकर गिरिराज सोच रहे होंगे कि मज़ाक-मज़ाक में काफी ख़र्चा हो गया.

ये आलम तो तब है जबकि दिल्ली में चुनाव प्रचार के आखिरी दिन मोदीजी ने दो सभा की. पहली-लोक सभा, दूसरी- राज्य सभा. इसके बावजूद एक्ज़िट पोल के रुझान तो कुछ और ही कहानी कह रहे हैं. लेकिन एक बात माननी पड़ेगी. एग्जिट पोल में सिर्फ़ कांग्रेस ही ऐसी पार्टी दिख रही है, जिसका रिजल्ट हंड्रेड परसेंट रह सकता है. पिछली बार भी ज़ीरो, इस दफ़ा भी ज़ीरो. उसे अपनी जगह से कोई माई का लाल नहीं हिला सका.

अथश्री एक्जिट पोल कथा ! अथश्री एक्जिट पोल कथा ! Reviewed by Manu Panwar on February 09, 2020 Rating: 5

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